उत्तराखंड: ग्लेशियर टूटने से 100 से ज्यादा भेड़-बकरियों की मौत, लोगों की रोजी-रोटी पर संकट
किसी के लिए मवेशियों की मौत भले ही सामान्य सी खबर हो, लेकिन जरा उन पशुपालकों के बारे में सोचिए, जिनके लिए उनके पशु ही गुजर-बसर का जरिया थे।
Jul 16 2021 1:37PM, Writer:Komal Negi
उत्तराखंड के पहाड़ी इलाके कुदरत के कहर से हलकान हैं। कहीं भारी बारिश के चलते हादसे हो रहे हैं तो कहीं उफनाई नदियां लोगों और मवेशियों के लिए काल साबित हो रही हैं। एक ऐसी ही बुरी खबर पिथौरागढ़ जिले से आई है। यहां ग्लेशियर की बर्फ खिसकने से सौ भेड़ और बकरियों की मौत हो गई। किसी के लिए मवेशियों की मौत भले ही सामान्य सी खबर हो, लेकिन जरा उन पशुपालकों के बारे में सोचिए, जिनके लिए उनके पशु ही गुजर-बसर का एकमात्र जरिया थे। अचानक हुई इस घटना से पशुपालक और उनके परिवार गहरे सदमे में है। बीते हफ्ते इन परिवारों से उनकी आमदनी का जरिया ही छिन गया। सालों की मेहनत से पाले-पोसे गए मवेशी चंद सेकेंड में बर्फ के नीचे दबकर मौत के मुंह में समा गए। घटना मुनस्यारी के मल्ला जोहार क्षेत्र में हुई।
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जहां पिछले हफ्ते बर्फबारी के दौरान ग्लेशियर की बर्फ खिसकने से सौ से अधिक भेड़-बकरियों की बर्फ में दबने से मौत हो गई। चरवाहों के टेंट और राशन आदि सामान भी बर्फ में दब गया। जानकारी के मुताबिक आसपास के गांवों में रहने वाले मनोहर सिंह, विशन सिंह पछाई और खुशाल सिंह के मवेशी घास चरने के लिए मल्ला जोहार के नंदा देवी बेस कैंप के पास गए हुए थे। बीते हफ्ते जब भेड़-बकरियां बुग्यालों से होते हुए नीचे की ओर आ रही थीं तो मौसम खराब हो गया। चोटियों पर अचानक भारी हिमपात होने लगा, जिससे ग्लेशियर की बर्फ पिघलकर बुग्यालों तक पहुंच गई। हादसे में कई भेड़ें और बकरियां बर्फ में दब गईं। चरवाहों ने बर्फ में फंसी भेड़-बकरियों को किसी तरह ढूंढ कर बाहर निकाला। हादसे में सौ से अधिक मवेशियों की मौत हुई है। वन पंचायत के सरपंच ने कहा कि चरवाहों का राशन, टेंट और कुत्ते भी बर्फ में दब गए। उनके पास खाने का सामान तक नहीं रहा। स्थानीय लोगों ने प्रशासन से प्रभावितों को मुआवजा देने की मांग की है।