उत्तराखंड: बीते 17 साल से स्कूल में रात गुजार रहे हैं झापुली गांव के 12 परिवार
ये लोग सुबह गांव आते हैं, घर का काम काज निपटाते हैं और रात का खाना खाने के बाद सोने के लिए स्कूल चले जाते हैं। पिछले 17 सालों से यही चल रहा है, लेकिन कोई इनकी तकलीफ पर ध्यान नहीं दे रहा।
Jul 16 2021 2:20PM, Writer:Komal Negi
अगर आपके सिर पर छत है, खाने के लिए तीन वक्त का भोजन है तो खुद को दुनिया का सबसे खुशनसीब इंसान मानिए, क्योंकि हमारे आसपास ऐसे हजारों नहीं बल्कि लाखों लोग हैं, जिन्हें आज भी ये सब मयस्सर नहीं। एसी वाले कमरों में बैठकर इनकी तकलीफ पर चर्चा तो हो सकती है, लेकिन इनके दर्द को समझा नहीं जा सकता। आज हम आपको पिथौरागढ़ के उन 12 परिवारों की कहानी बताएंगे, जिनके लिए मानसून किसी बुरे सपने से कम नहीं। ये लोग मानसून के दौरान चार महीने एक स्कूल में रहकर बिताते हैं और ऐसा पिछले 17 साल से हो रहा है। एक न्यूज रिपोर्ट के मुताबिक इस गांव का नाम है झापुली। मुनस्यारी के मदकोट-बौना रोड पर स्थित इस गांव के 12 परिवार पिछले 17 सालों से स्कूल में रात गुजार रहे हैं। इसकी वजह भी बताते हैं। बात 2004-05 की है। गांव में भारी भूस्खलन हुआ था। आपदा की वजह से 12 परिवार खतरे की जद में आ गए। इनके मकान ध्वस्त हो गए थे, उस वक्त गांव वालों की जान बड़ी मुश्किल से बच सकी थी। मानसून में गांव में भूकटाव का खतरा बना रहता है। जिसके डर से गांव वाले मानसून सीजन में 4 महीने तक परिवार के साथ स्कूल में रात गुजारते हैं। आगे पढ़िए
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ये लोग सुबह गांव आते हैं, घर का कामकाज निपटाते हैं और रात का खाना खाने के बाद सोने के लिए स्कूल चले जाते हैं। पिछले 17 सालों से यही चल रहा है, लेकिन कोई इनकी तकलीफ पर ध्यान नहीं दे रहा। हर साल मानसून काल में गांव में भारी भूस्खलन होता है। रात को अनहोनी के डर से गांव के सभी परिवार प्राथमिक विद्यालय झापुली के भवन में सोने चले जाते हैं। जिस स्कूल में ये परिवार सोने जाते हैं, वो गांव से दो सौ मीटर दूर है। झापुली के लोगों का कहना है कि 17 साल में प्रदेश में तीन सरकारें बन चुकी हैं, लेकिन उनके विस्थापन पर किसी ने ध्यान नहीं दिया। हम गांव में सुरक्षा दीवार चाहते हैं, विस्थापन की मांग कर रहे हैं, पर कोई सुन नहीं रहा। ग्रामीणों को उम्मीद है कि प्रदेश के नए मुख्यमंत्री उनकी समस्याओं को समझेंगे। पीड़ित परिवारों के पुनर्वास के लिए कदम उठाए जाएंगे। इसी उम्मीद के साथ बीते दिन ग्रामीणों ने एक बार फिर एसडीएम के माध्यम से सीएम को ज्ञापन भेजा है।