तीलू रौतेली सम्मान: अंजना रावत की कहानी..सुबह चाय की दुकान में काम, दिन में करती है पढ़ाई
राज्य स्तरीय सम्मान हासिल करने के बावजूद अंजना अब भी बेहद सादा जीवन जीती हैं। उनकी दिनचर्या सुबह सात बजे अपनी चाय की छोटी सी दुकान से शुरू होती है, और ऐसा पिछले दस सालों से हो रहा है।
Aug 14 2021 1:15PM, Writer:Komal Negi
जो लोग आकाश की ऊंचाई पर होने के बावजूद अपने पांव जमीन पर टिकाए रखते हैं, उन्हें कभी गिरने का डर नहीं सताता। पौड़ी गढ़वाल के श्रीनगर में रहने वाली अंजना रावत ऐसी ही शख्सियत हैं। 8 अगस्त को अंजना रावत को राज्य स्तरीय तीलू रौतेली सम्मान से नवाजा गया। वो लगातार सुर्खियों में बनी हुई हैं, लेकिन महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में राज्य स्तरीय सम्मान हासिल करने करने के बावजूद अंजना अब भी बेहद सादा जीवन जीती हैं। उनकी दिनचर्या सुबह सात बजे पीएनबी रोड में अपनी चाय की छोटी सी दुकान से शुरू होती है, और ऐसा पिछले दस सालों से हो रहा है। गरीब पहाड़ी परिवार से निकल कर अपनी खुद की अलग पहचान बनाने तक का सफर अंजना के लिए बेहद मुश्किलभरा रहा। साल 2010 में उनके पिता का निधन हो गया था। जिसके बाद पूरे परिवार की जिम्मेदारी अंजना के कंधों पर आ गई। पिता की मौत के कुछ ही दिन बाद वो चाय की दुकान का संचालन करने लगीं। आगे पढ़िए
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सुबह सात बजे से शाम 8 बजे तक वो दुकान चलातीं, दिन में कुछ वक्त निकाल कर पढ़ाई भी करतीं। अंजना ने मास्टर्स ऑफ सोशल वर्क किया है। समाजशास्त्र में एमए की डिग्री भी हासिल की है। महिला सशक्तिकरण से जुड़े कार्यों में अंजना की विशेष रुचि रही है। अंजना की बड़ी बहन की शादी हो चुकी है। भाई निजी क्षेत्र में कार्यरत है। जिंदगी पटरी पर आने लगी है, लेकिन अंजना अपने पुराने दिन आज तक नहीं भूलीं। सुबह चाय की दुकान खोलने के साथ घर का काम, फिर कॉलेज और रात को पढ़ाई करने वाली अंजना आज भी अपने दिन की शुरुआत चाय की दुकान खोलने से करती हैं। सच कहें तो अंजना जैसी बेटियां ही महिला सशक्तिकरण की असली मिसाल हैं, जिन्होंने तमाम चुनौतियों के बावजूद हार मानना नहीं सीखा। वो कहती हैं कि चाहे जिंदगी कितनी ही परीक्षाएं ले, हमें हारना नहीं है। अगर इस बात को जीवन में उतार लिया तो एक दिन सफलता जरूर मिलेगी, बस हौसला बनाए रखना है।