image: kotdwar sunil dutt kothari kandali chai

गढ़वाल: सुनील ने 'कंडाली चाय' से कमाया नाम, लाखों में कमाई..युवाओं को रोजगार

सुनील दत्त कोठारी की मेहनत की बदौलत बिच्छू घास की चाय मुंबई-दिल्ली के बड़े होटलों के मेन्यू में खास जगह बना चुकी है। जानिए उनकी सफलता की कहानी
Sep 21 2021 9:50PM, Writer:Komal Negi

मन में कुछ कर गुजरने की चाह हो तो मिट्टी में भी सोना उगाया जा सकता है। अब कोटद्वार के रहने वाले सुनील दत्त कोठारी को ही देख लें। इन्होंने पहाड़ में मिलने वाली कंडाली को अपने रोजगार का जरिया बनाया। इसके माध्यम से न सिर्फ अपनी आर्थिक स्थिति मजबूत की, बल्कि क्षेत्र के दूसरे युवाओं को भी रोजगार दिया। सुनील दत्त कोठारी कोटद्वार के चेलूसैंण में रहते हैं। वो कंडाली के औषधीय गुणों को देश-दुनिया तक पहुंचा रहे हैं। उनकी मेहनत की बदौलत बिच्छू घास की चाय मुंबई-दिल्ली के बड़े होटलों के मेन्यू में खास जगह बना चुकी है। कंडाली को बिच्छूघास के नाम से भी जाना जाता है। पहाड़ में खरपतवार की तरह उगने वाली कंडाली अगर गलती से भी शरीर से छू जाए तो झनझनाहट होने लगती है। लोग इस घास से दूर ही रहते हैं, लेकिन यह घास कई गुणों को समेटे हुए है। कंडाली के इन्हीं औषधीय गुणों को पहचान दिलाना सुनील की जिंदगी का मकसद है।

यह भी पढ़ें - गढ़वाल का दशरथ मांझी: जिसने अकेले काटा 2Km पहाड़, गांव तक पहुंचाई सड़क
सुनील करीब 22 साल तक मुंबई में आईटीसी ग्रुप में सप्लाई चेन हेड के रूप में काम करते रहे। साल 2016 में जब वो गांव लौटे तो उन्होंने कुछ अलग करने का सोचा। इस बीच उन्हें अपने दादा-परदादा के लिखित दस्तावेजों से बिच्छू बूटी यानी कंडाली के गुणों के बारे में पता चला। बस फिर क्या था, दादा के पोते ने कंडाली को ही रोजगार का जरिया बनाने की ठान ली। वो कंडाली की पत्तियों से चाय तैयार करने लगे। इसकी बिक्री के लिए उन्होंने कोठारी पर्वतीय विकास समिति गठित की। गांव के लोगों को समिति से जोड़ा और कंडाली से बनी चाय को मुंबई-दिल्ली के बड़े होटलों में भेजना शुरू कर दिया। आज सुनील कंडाली की चाय बेचकर हर साल लाखों कमा रहे हैं। कोरोना काल में जॉब गंवाने वाले लोगों के लिए सुनील दत्त कोठारी मिसाल बनकर उभरे हैं, उन्हें देखकर क्षेत्र के दूसरे युवा भी स्वरोजगार को अपना रहे हैं।


View More Latest Uttarakhand News
View More Trending News
  • More News...

News Home