रुद्रप्रयाग: गांव के लोगों ने सरकार को दिखाया आईना, किसी ने नहीं सुनी तो खुद बना दी सड़क
सरकार ने ग्रामीणों को गेंती –फावड़ा उठाने को किया मजबूर, जब प्रशासन ने सुध नहीं ली तो रुद्रप्रयाग के जसोली गांव के ग्रामीणों ने खुद ही सड़क निर्माण कार्य किया शुरू-
Sep 30 2021 12:03PM, Writer:अनुष्का ढौंडियाल
उत्तराखंड का रुद्रप्रयाग जिला....यहां भी अन्य जिलों की तरह ही नेता विकास का वादा तो कर देते हैं मगर वादों से विकास होता तो क्या ही बात होती। शासन–प्रशासन की बहानेबाजियों से लोग तंग आ चुके हैं। सड़क जैसी मूलभूत सुविधा से सैकड़ों गांव वंचित हैं। अबतक सरकार उत्तराखंड के गांवों तक सड़क जैसी मूलभूत सुविधा नहीं पहुंचा पाए हैं। प्रशासन को बार-बार बोलने के बाद रुद्रप्रयाग के रानीगढ़ क्षेत्र के जसोली गांव के ग्रामीणों ने निराश होकर खुद ही सड़क बनाने का निर्णय ले लिया है। ग्रामीणों ने स्वयं ही फावड़ा पकड़ कर सड़क निर्माण कार्य शुरू कर दिया है। ग्रामीणों ने सड़क निर्माण के लिए आपस में ही चंदा जमा किया और सड़क निर्माण कार्य में जुट गए। निर्माणकार्य में गांव के सभी पुरुष और महिलाएं जोरों-शोरों से अपना योगदान दे रहे हैं।
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आपको बता दें कि रुद्रप्रयाग के ग्रामीण प्रशासन से लंबे समय से डेढ़ किमी जसोली–जीआईसी चमकोट मोटरमार्ग निर्माण की मांग लम्बे समय से कर रहे हैं। सड़क के लिए स्थानीय लोग कई बार शासन-प्रशासन के चक्कर भी काट चुके हैं। मगर हमेशा की तरह उनकी मांग को प्रशासन अनसुना करता रहा जिसके बाद ग्रामीणों ने स्वयं ही सड़क निर्माण कार्य का बीड़ा अपने कंधों पर उठाया। आपको बता दें कि ग्रामीण बड़ी संख्या में सड़क निर्माण के लिए श्रमदान कर रहे हैं और गांव की सभी महिलाएं और पुरुष सड़क निर्माण कार्य को सफल बनाने के लिए दिन-रात जी तोड़ मेहनत कर रहे हैं। ग्रामसभा जसोली की प्रधान अर्चना चमोली ने कहा कि ग्रामीणों ने प्रशासन को सड़क निर्माण का काम शुरू न होने पर खुद ही श्रमदान के जरिये सड़क निर्माण शुरू करने का अल्टीमेटम दे दिया था। उसके बावजूद कोई एक्शन नहीं लिया गया। उन्होंने कहा कि सरकार ने ग्रामीणों को गेंती – फावड़ा उठाने को मजबूर किया है। सामाजिक कार्यकर्ता मदनमोहन चमोली ने प्रशासन पर आरोप लगाते हुए कहा है कि कई बार बोलने के बावजूद भी प्रशासन के कान पर जूं नहीं रेंगी। सड़क न होने से कई गर्भवती महिलाओं की जान भी चली गई है। उसके बावजूद भी सरकार को होश नहीं आया तो मजबूरन गांव के लोगों ही सड़क निर्माण के लिए आगे आना पड़ा।