image: Story of acid attack survivor Kavita bisht of ranikhet almora

रानीखेत की कविता बिष्ट, एसिड अटैक में खोई आंखें..हार नहीं मानी और पेश की मिसाल

पहाड़ की रहने वाली कविता ने एसिड अटैक में अपनी आंखें गंवा दी, दो महीने तक डिप्रेशन में रहीं, लेकिन हार नहीं मानी। आज कविता दूसरे लोगों के लिए मिसाल बन गई हैं.
Oct 15 2021 5:53PM, Writer:Komal Negi

रानीखेत। उत्तराखंड के अल्मोड़ा का खूबसूरत कस्बा। इस शहर में एक हिम्मती लड़की रहा करती थी। जोश से भरी ये लड़की जिंदगी में कुछ बनना चाहती थी, कुछ बेहतर करना चाहती थी। अपने सपने को पूरा करने के लिए वो दिल्ली गई। वहां जॉब करने लगी, सब ठीक चल रहा था कि तभी कुछ मनचलों की बुरी नजर उस पर पड़ गई। लड़की ने उनका विरोध किया। अहम पर चोट पहुंची तो उन मनचलों ने बस स्टैंड पर खड़ी लड़की के चेहरे पर एसिड फेंक दिया। ये एक कहानी नहीं, बल्कि कविता बिष्ट की जिंदगी की दुखद सच्चाई है। पहाड़ की रहने वाली कविता ने एसिड अटैक में अपनी आंखें गंवा दी, दो महीने तक डिप्रेशन में रहीं, लेकिन मां से मिली हिम्मत के दम पर उन्होंने एक बार फिर जिंदगी को गले लगाया और आज कविता अपने जैसे कई लोगों की जिंदगी में रौशनी भर रही हैं। कविता एक एनजीओ चलाती हैं, जिसकी मदद से वो महिलाओं को स्वावलंबी बना रही हैं। यही नहीं घरेलू हिंसा, यौन उत्पीड़न और एसिड अटैक पीड़ितों की मदद भी करती हैं। आगे पढ़िए

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आज हम कविता को मजबूत महिला के रूप में जानते हैं, लेकिन एक वक्त था जब वो जीने की हर उम्मीद खो बैठी थीं। 2 फरवरी 2008 को कविता नोएडा के बस स्टैंड पर खड़ी थीं। तभी दो मनचलों ने उन पर एसिड फेंक दिया। कविता भयंकर पीड़ा से जूझती रहीं। कानून पचड़ों और फौरन इलाज न मिलने की वह से कविता की हालत खराब हो गई। 8 दिन बाद होश आया तो कविता ने खुद को दिल्ली के अस्पताल में पाया। उनकी आंखों की रोशनी जा चुकी थी। महीनों तक कविता अस्पताल में भर्ती रहीं। ये हादसा आघात देने वाला था। वो 2 साल तक डिप्रेशन में रही। इसके बाद कविता ने किसी तरह हिम्मत जुटाई और एक साल तक देहरादून के राष्ट्रीय दृष्टिबाधित संस्थान में ट्रेनिंग ली। इन संघर्षों ने कविता को नई ताकत दी, और आज वो समाजसेवा के क्षेत्र में सक्रिय होकर क्षेत्र की कई महिलाओं की जिंदगी बदल रही हैं। उन्हें हार न मानने की प्रेरणा दे रही हैं। कविता का संस्थान दिव्यांग बच्चों के लिए मदद भी जुटाता है। राज्य समीक्षा टीम कविता बिष्ट को सैल्यूट करती है।


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