उत्तराखंड: आंखों के सामने 9 दोस्तों की मौत, आपदा में अकेला बचा राजन..पढ़िए पूरी कहानी
शायद आज मेरे साथी जिंदा होते... सुनिए नैनीताल के उस मजदूर की कहानी जिसकी आंखों के सामने उसके 9 साथी मौत के मुंह में समा गए.
Oct 24 2021 3:21PM, Writer:अनुष्का ढौंडियाल
नैनीताल में बीते दिनों आई तबाही ने सबकी आंखों को नम कर दिया। हर जगह से आपदा की दिल दहला देने वाली तस्वीरें सामने आईं। लोग बेबस थे, अपने साथियों को मौत के मुंह में जाता हुआ देखने पर मजबूर थे। कोई भी कुछ नहीं कर पा रहा था। खास कर कि नैनीताल में बीते दिनों हुई तबाही भरी बारिश ने कई बेकसूरों को मौत के मुंह में धकेल दिया। नैनीताल के सकुना में दो मंजिला मकान का निर्माण कर रहे 10 में से 9 मजदूर तबाही की चपेट में आ गए और उनकी दर्दनाक मृत्यु हो गई। वहीं उनके साथ मौजूद एक साथी ने दर्द भरी दास्तां सुनाते हुए कहा कि उनकी आंखों के सामने उसके 9 साथी मौत के मुंह में समा गए और वह कुछ भी नहीं कर सका। वह लाचार था। सभी मजदूर बिहार के निवासी थे। सभी मजदूरों में से जिंदा बचकर वापस आए मजदूर का कहना है कि बारिश के कारण सभी 18 अक्टूबर को ही घर निकलना चाहते थे और हमने ठेकेदार से दिवाली और छठ पूजा में घर जाने के लिए भी कहा था। अगर हम घर चले जाते तो आज मेरे साथ ही जिंदा होते। उसने भरे हुए गले से बताया कि उसकी आंखों के सामने उसके साथी मकान के मलबे के नीचे दब गए और वह कुछ भी नहीं कर सका।
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नैनीताल के सकुना में आई आपदा के कारण 19 अक्तूबर को एक दो मंजिले मकान में मलबा घुस गया। मकान में सो रहे बिहार के नौ मजदूरों की मौत हो गई। किसी तरह वहां से जान बचा पाए राजन शाह ने बताया कि वे सड़क निर्माण कर रहे थे। 18 अक्तूबर की रात खाना खाकर वे एक कमरे में सो गए। वह बीच में सो रहा था। करीब चार बजे के आस-पास एक तेज आवाज के साथ पानी का रेला आया। जैसे ही नींद टूटी तो मेरे सीने और पैर पर एक पत्थर पड़ा हुआ था। इसी समय पानी का दूसरा रेला आया और पानी के बहाव में वे दूसरे छोर में पहुंच गए। जैसे ही वह उठा तो देखा कि उसके साथी मलबे में दबे हुए हैं। उसके तीन साथियों के केवल हाथ दिखाई दे रहे थे। मैंने उन्हें खींचने की बहुत कोशिश की लेकिन उसके बाद मलबा इतना आया कि सब के सब मलबे में दब गए। आपदा में मौत को छू कर वापस आए राजन शाह ने कहा कि उसने भाग कर व्यक्ति से मदद मांगी। सकुना निवासी कृष्णा नंद शास्त्री ही चार दिन से उसकी सेवा कर रहे हैं। कृष्णा नंद शास्त्री ने बताया कि वह जब बाहर निकलकर आए तो उन्होंने देखा कि एक आदमी दोनों हाथ-पांव से चलकर उनकी दुकान की ओर आ रहा है और सब मर गए, मर गए चिल्ला रहा है। राजन शाह ने उन्हें बताया कि उनके सभी साथी मलबे में दबे हैं। शास्त्री ने कहा कि वे चाह कर भी अन्य मजदूरों को नहीं बचा सके..राजन ने बताया कि प्रशासन की ओर से उन्हें कोई भी मदद नहीं मिली है।