उत्तराखंड: देश के आखिरी गांव में 12 साल बाद ऐतिहासिक महादेव महोत्सव, आप भी चले आइए
चीन सीमा से सटे इस इलाके को भगवान शिव की धरती कहा जाता है। यहां महादेव की पूजा के लिए दारमा वैली के 14 गांवों के लोग देशभर से अपने गांव पहुंचने लगे हैं।
Jun 7 2022 6:30PM, Writer:कोमल नेगी
धारचूला का सीपू गांव ऐतिहासिक धार्मिक आयोजन का गवाह बनने जा रहा है।
Mahadev mahotsav in Dharchula Sipu village
सीपू गांव भारत का अंतिम गांव माना जाता है। इस गांव में 12 साल बाद महादेव की विशेष पूजा-अर्चना होगी। ये आयोजन कितना महत्वपूर्ण है, इसका अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि आयोजन में दारमा वैली के अंतर्गत आने वाले 14 गांवों के सभी लोग शामिल होंगे। साथ ही दारमा वैली के वो मूल निवासी भी गांव लौटेंगे, जो किसी कारण से दूसरे शहरों में बस गए हैं। महादेव की पूजा के लिए दारमा वैली के 14 गांवों के लोग देशभर से अपने गांव पहुंचने लगे हैं। चीन सीमा से लगे सीपू गांव में सीपाल जाति के लोग रहते हैं। परंपरागत ढंग से होने वाली पूजा को लेकर गांव की युवा पीढ़ी में खूब उत्साह है। गांव की नई पीढ़ी पहली बार इस पूजा में शिरकत करेगी।
चीन सीमा से सटे भारतीय भूभाग को भगवान शिव की भूमि माना जाता है। हिंदुओं की सबसे बड़ी धार्मिक यात्रा कैलाश मानसरोवर इसी भूमि से शुरू होती है। सदियों से यात्री इसी मार्ग से शिव के धाम कैलाश पहुंचते रहे हैं। धारचूला के अंतर्गत आने वाले इस क्षेत्र में तीन घाटियां हैं। जिनमें व्यास घाटी, चौदांस घाटी और दारमा घाटी शामिल हैं। तीनों घाटियों में बारह साल के अंतराल में भगवान शिव की विशेष पूजा होती है। इस साल यह पूजा दारमा घाटी के सीपू गांव में होनी है। सीपू गांव पहुंचने वाला पैदल रास्ता पिछले महीने ग्लेशियर खिसकने की वजह से क्षतिग्रस्त हो गया था, और ये रास्ता अब भी बेहद खतरनाक बना हुआ है। गांव के लोगों ने कहा कि कई जगहों पर रोड की हालत खराब है। जिससे बुजुर्गों और महिलाओं को गांव पहुंचने में परेशानी हो रही है। उन्होंने एसडीएम से मार्ग को अविलंब ठीक कराने की मांग की है।