उत्तराखंड: सारे लोग चले गए, औलादों ने भी बनाई दूरी..गांव में बचे हैं सिर्फ दो बुजुर्ग
अपने गांव-घरों के लिए हीरावल्लभ जैसे कई बुजुर्गों ने अपनी औलादों तक से दूरी बना ली और किसी तरह आज भी गांवों को आबाद रखने में जुटे हैं।
Oct 3 2022 3:32PM, Writer:कोमल नेगी
उत्तराखंड में पलायन की समस्या नई नहीं है। यहां के युवा रोजगार व अन्य कारणों से गांवों को छोड़ चुके हैं, लेकिन इस धरती पर कुछ लोग ऐसे भी हैं, जिन्हें अपना गांव, अपना पहाड़ सबसे प्यारा है।
Pithoragarh Koraltada Tok Hira Ballabh Kapri Story
पिथौरागढ़ के तोक कोरलताड़ा में रहने वाले हीरावल्लभ कापड़ी और हरिप्रिया कापड़ी ऐसी ही शख्सियत हैं। उम्र के आखिरी पड़ाव में होने के बावजूद इनके जैसे कई बुजुर्ग गांव-घर छोड़ने को राजी न हुए। अपने गांव-घरों के लिए इन बुजुर्गों ने अपनी औलादों तक से दूरी बना ली और किसी तरह आज भी गांवों को आबाद रखने में जुटे हैं। कोरलताड़ा तोक सड़क से करीब आठ किमी दूर है। जहां 75 साल के हीरा बल्लभ और उनकी पत्नी हरिप्रिया के अलावा तीसरा कोई इंसान नहीं रहता। 1990 के बाद से लोगों ने इस को गांव छोड़ना शुरू किया था, धीरे-धीरे पूरा गांव खाली हो गया। हीरावल्लभ बताते हैं कि उन्हें गांव में अकेले रहते 14 साल से अधिक हो गए हैं। तीसरे इंसान की सूरत महीनों में दिखती है। 12 दिन पहले जंगल के काम से एक व्यक्ति उनके गांव से गुजरा था, तब उससे बात हुई थी। अकेला दंपति होने से न वे गांव छोड़ सकते हैं और न एक-दूसरे को। आगे पढ़िए
हीरा बल्लभ करीब दो साल से सड़क तक नहीं आए। उनकी पत्नी को तीन साल का वक्त हो गया शहर और कस्बे का मुंह देखे हुए। दंपति की बहुत ज्यादा जरूरतें भी नहीं हैं। कुछ चीजें वे घर पर ही उगा लेते हैं और बाजार का सामान पिथौरागढ़ में रहने वाला बेटा दो-तीन महीने में इकट्ठा ही पहुंचा देता है। पिछले दिनों आई ग्राम्य विकास एवं पलायन आयोग की रिपोर्ट बताती है कि पलायन करने वालों में 26 से 35 साल के युवाओं की संख्या सबसे ज्यादा है। बेहतर शिक्षा और रोजगार की तलाश में इस उम्र के 42.25 प्रतिशत युवाओं ने गांव छोड़कर नजदीकी कस्बों, जिला मुख्यालयों, दूसरे जिलों, राज्य या देश से बाहर रुख किया है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक प्रदेश में 1546 भुतहा गांव हैं। 650 गांव और तोक ऐसे हैं, जहां आबादी आधी भी नहीं रह गई है। इसमें भी अधिकांश गांव बुजुर्गों के भरोसे बचे हैं, जहां बच्चे और युवा गिनती के हैं।