..तो ध्वस्त होगी देहरादून की यमुना कॉलोनी? 1960 में हुआ था कॉलोनी का निर्माण..जानिए वजह
एक न्यूज रिपोर्ट के मुताबिक देहरादून की यमुना कॉलोनी को जल्द ही ध्वस्त करवाया जा सकता है।
Oct 29 2022 8:47PM, Writer:अनुष्का ढौंडियाल
देहरादून की यमुना कॉलोनी…1960 में इस कॉलोनी का निर्माण करवाया गया था। लेकिन एक न्यूज रिपोर्ट की मानें तो आने वाले दिनों में ये कॉलोनी कल की बात हो जाएगी।
Dehradun Yamuna Colony may Renovate
अगर सिंचाई विभाग के प्रस्ताव पर विचार किया गया और योजना अमल में लाई गई तो कॉलोनी के जीर्णशीर्ण भवनों की जगह मल्टीस्टोरी बिल्डिंग नजर आएंगी। दरअसल खबर है कि सिंचाई मंत्री सतपाल महाराज ने अपने विभाग को इस संबंध में प्रस्ताव बनाने के निर्देश दिए हैं। ये प्रस्ताव शासन को भेजा जाएगा। दरअसल इससे पहले यूपी में सिंचाई विभाग की ओर से किया गया ऐसा ही प्रयोग सफल रहा है। यूपी में सिंचाई विभाग की पुरानी कॉलोनियों को ध्वस्त किया गया। इसके बाद पीपीई मोड पर मल्टीस्टोरी बिल्डिंग का निमार्ण किया जा रहा है। देहरादून की यमुना कॉलोनी में 983 आवास हैं। इनमें से 553 आवास सिंचाई विभाग को आवंटिंत हैं। इसके अलावा 274 आवास यूजेवीएनएल और 99 राज्य संपत्ति विभाग के पास है। कुछ भवनों में तमाम दूसरे सरकारी कार्यालय स्थापित किए गए हैं। उत्तराखंड राज्य बनने के बाद मंत्रियों के लिए आवास की समस्या सामने आई। ऐसे में यमुना कॉलोनी के पुराने भवनों को नया रंग-रूप दिया गया। आखिरकार इन भवनों को उत्तराखंड सरकार के मंत्रियों को आवंटित किया गया। तब से यमुना कॉलोनी को वीवीआईपी का रुतबा भी मिल गया। आगे पढ़िए
अब ये भी जान लीडिए कि आखिर यमुना कॉलोनी की स्थापना क्यों की गई। जब उत्तराखंड उत्तर प्रदेश का हिस्सा था तो गंगा और यमुना घाटी के लखवाड़, टिहरी बांध, व्यासी, किशाऊ, विष्णुप्रयाग, मनेली भाली, चीला जैसी महत्वपूर्ण जल विद्युत परियोजनाओं के सर्वेक्षण के लिए यहां इंजीनियर के लिए कार्यालय स्थापित किए गए थे। इसके अलावा तत्कालीन उत्तर प्रदेश स्टेट इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड के कार्यालय और आवास भी यहां स्थापित किए गए थे। उधर सिंचाई मंत्री सतपाल महाराज की मानें तो देहरादून स्थित यमुना कॉलोनी जीर्णशीर्ण अवस्था में पहुंच चुकी है। वो चाहते हैं कि यहां भी यूपी की तर्ज पर पुरानी बिल्डिंग को ध्वस्त कर नई मल्टीस्टोरी बिल्डिंग का निर्माण करें। इसमें आवास के साथ कार्यालय और व्यावसायिक प्रतिष्ठान भी स्थापित किए जा सकेंगे।