उत्तराखंड: खतरे में मां यमुना का मायका...वैज्ञानिकों ने दी बड़े भूस्खलन की चेतावनी
हाल ही में उत्तराखंड में बसे खरसाली गांव को लेकर वैज्ञानिकों ने गंभीर चेतावनी दी है। खरसाली गांव को मां यमुना का मायका भी कहा जाता है।
Sep 29 2018 12:18PM, Writer:कपिल
उत्तराखंड में बसा खरसाली गांव जो लोगों की आस्था का केंद्र रहा है उस स्थान पर बड़ा खतरा मंडरा रहा है। एक अध्ययन में खुलासा हुआ है कि ये पूरा भूभाग भूस्खलन की चपेट में है। ये खतरे की मां यमुना में आस्था रखने वालों के लिए भी चिन्ता का विषय है। दरअसल खरसाली गांव को मां यमुनोत्री का मायका कहा जाता है। उत्तराखंड के चार धामों में से एक यमुनोत्री के कपाट बंद होने के दौरान मां यमुनोत्री की डोली उनके मायके खरसाली लायी जाती है। यहां के मंदिर में पूरे शीतकाल के दौरान मां की पूजा अर्चना की जाती है। अब मां के इसी मायके पर भूस्खलन का खतरा मंडरा रहा है। भूस्खलन की ये स्थिति वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान के अध्ययन में सामने आई। इसी अध्ययन के दौरान देश के एक और अहम क्षेत्र गंभीर भूस्खलन की बात सामने आई है।
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खरसाली गांव की तरह हिमाचल प्रदेश के किन्नौर में सतलुज घाटी को भी भूस्खलन का खतरा है। यहां के उर्नी क्षेत्र का एक पूरा पहाड़ कभी भी सरककर सतलुज नदी पर 70 मीटर ऊंची और करीब 150 मीटर तक लंबी झील बन जाएगी। अगर कभी यह टूटी तो निचले हिस्सों में काफी दूर तक तबाही हो सकती है। संस्थान के रिचर्स फेलो विपिन कुमार के मुताबिक उत्तराकंड का खरसाली गांव एक त्रिकोणीय टापू के भूभाग पर बसा है, जिसके एक हिस्से पर यमुना नदी बह रही है और दूसरे हिस्से पर उंतागाड़ नदी है। पहाड़ी क्षेत्र में इन नदियों के बहाव की रफ्तार काफी अधिक होने की वजह से गांव की जमीन खिसकने लगी है। वही दूसरी तरफ भूकंपीय दृष्टि से भी यह हिस्सा काफी संवेदनशील है। जमीन खिसकने के निशान गांव की जमीन पर उभरने लगे है।
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गांव के प्रवेश वाले हिस्से पर 15-20 सेंटीमीटर चौड़ी दरारें उभर आई हैं। इसी तरह कई घर एक तरफ से 7.5 डिग्री के अंश पर खिसकने लगे हैं। कुछ ऐसा ही झुकाव यहां के ऐतिहासिक शनि मंदिर पर भी देखने को मिल रहा है। लेकिन हैरान करने वाली तस्वीर तक सामने आई जब गांव के लोगों ने इस अध्ययन के बाद हुए ऐतिहासिक शनि मंदिर के साथ साथ भवनों पर मंडरा रहे खतरें पर यकीन करने से इंकार कर दिया। ग्रामीणों का विश्वास है कि गांव में बने शनि मंदिर की वजह से उनको किसी तरह का नुकसान नहीं होगा। अध्ययन में यह भी बताया गया है कि इस गांव के भवन कोटी बनाल शैली में बने हैं, जो भूकंपरोधी हैं। हालांकि जब जमीन खिसकती है तो भवनों की क्षमता मायने नहीं रखती।