देहरादून की रिस्पना नदी अपने रूप में लौटेगी, गुजरात की साबरमती नदी जैसा काम शुरू
कभी देहरादून की खूबसूरती पर चार चांद लगाने वाली ऋषिपर्णा यानी रिस्पन्ना नदी को पुराने रूप में लाने पर काम शुरू गया है। पहले फेज में 140 करोड़ का बजट तैयार।
Oct 3 2018 10:04AM, Writer:रश्मि पुनेठा
कभी रिस्पना नदी मसूरी की पहाड़ियों से निकलकर करीब 40 किलोमीटर के फासले पर दूधली और बिन्दाल नदी से संगम बनाती हुई सुसवा में मिल जाती है। रिस्पना नदी की जलधारा कभी शिखर फॉल देहरादून में पर्टकों को अपने खूबसूरती से मोह लेती थी। यहीं से आगे निकलकर रिस्पना सहस्त्रधारा के लिए निकलने वाली जलधारा से संगम बनाती हुई रायपुर मालदेवता समेत बालावाला, थानों, तुनवाला, बड़कोट और डोईवाला की करीब 20 हजार हेक्टेयर जमीन को सिंचित करती थी। आगे चलकर इसका पानी सुसवा नदी से मिलकर हरिद्वार गंगा में समा जाता है। लेकिन जहाँ-जहाँ से रिस्पना की धारा गुजरती है वहाँ-वहाँ पर मौजूदा वक्त में खेती नहीं बल्कि कंक्रीट का जंगल उग आया है। अब इन नदियों को पुनर्जीवन देने की कवायद में उत्तराखंड सरकार जुट गई है।
यह भी पढें - उत्तराखंड परिवहन निगम की बसें अब नेपाल तक चलेंगी, हो गया बड़ा फैसला!
सरकार ने दोनों नदियों को उनकी पहचान वापस देने के लिए योजना तैयार कर ली है। रिस्पना और बिंदाल नदी को संवारने की योजना के तहत पहले फेज़ में सात किलोमीटर क्षेत्र के विकास के लिए योजना तैयार हो गई है। इसके लिए करीब 140 करोड़ का बजट तैयार कर दिया गया है। रिस्पना और बिंदाल नदी के पुनर्जीवन के साथ साथ सौंदर्यकरण का काम सिंचाई विभाग और एमडीडीए को दिया गया है। मुख्यमंत्री ने साबरमती रिवर फ्रंट डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड से भी तकनीकी सहयोग लेने का सुझाव दिया है। प्लान है कि इन नदियों को गुजरात की साबरमती नदी की तर्ज पर पुनर्जीवित किया जाएगा।उत्तराखंड के सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत इसके लिए काफी गंभीर नज़र आ रहे हैं। हाल ही में रिस्पना नदी के रास्ते पर लाखों पौधे भी लगाए गए थे, जिससे की कंक्रीट के जंगलों से पानी की धारा को मुक्ति मिल सके।
यह भी पढें - गढ़वाल यूनिवर्सिटी में देश का दूसरा LLN सेंसर, अब 4 घंटे पहले आपदा का पता चल जाएगा
परियोजना की शुरुआत में रिस्पना नदी के 19 किलोमीटर क्षेत्र और बिंदाल नदी के 17 किलोमीटर क्षेत्र का डीपीआर तैयार किया गया है। पहले फेज़ में रिस्पना के ढाई किलोमीटर और बिंदाल के साढ़े चार किलोमीटर क्षेत्र में रिटेनिंग वॉल, चैकडेम जैसे काम किए जाने हैं। इस काम के लिए 140.39 करोड़ के बजट को पास कर दिया गया है।उम्मीद की जा सकती है कि जिस तरह आज गुजरात की साबरमती नदी को पुनर्जीवन मिला है उसी तरह देहरादून की इन दो नदियों को भी उनकी पहचान वापस मिल सकेगी। कभी ये एक नदी थी और आज गंदे नाले में तब्दील हो चुकी है। अंग्रेजों के जमाने से पहले की ऋषिपर्णा अब रिस्पना में बदल चुकी है और इसका बहाव ही इसकी खूबसूरती कहलाता था। कहा जाता है कि ऋषिपर्णा का पानी कभी भी नहीं घटा। नदी के आस-पास की खेती बहुत ही उपजाऊ थी।