उत्तराखंड को बड़ी सौगात देंगे पीएम मोदी, 24 जल विद्युत परियोजनाओं पर लेंगे फैसला!
उत्तराखंड के लिए ये 24 जल विद्युत परियोजनाएं बेहद जरूरी हैं क्योंकि इनकी खपत का एक बहुत बड़ा हिस्सा उत्तराखंड के लिए ही होगा।
Oct 6 2018 6:29AM, Writer:रश्मि पुनेठा
उत्तराखंड की 24 जलविद्युत परियोजनाएं ऐसी है जो पर्यावरणीय बंदिशों के चलते बंद हो चुकी है। ऐसे में इन परियोजनाओं का निर्माण दोबारा शुरू हो सके इसके लिए सरकार ने कोशिशें तेज कर दी। इसी सिलसिले में उन्होंने दिल्ली में केंद्रीय जल संसाधन विकास मंत्री नितिन गडकरी से मुलाकात की और परियोजनाओं को लेकर राज्य का पक्ष रखा। राज्य में बिजली की मांग सालाना करीब 13 हजार मिलियन यूनिट है। इसमें हर साल पांच से आठ फीसद की दर से वृद्धि हो रही है। इस मांग का 35 फीसद यूजेवीएनएल पूरा करता है। 40 फीसद केंद्रीय पूल और शेष 25 फीसद निजी स्रोतों से खरीदी जा रही है। मुख्यमंत्री ने राज्य की लंबित पड़ी जलविद्युत परियोजनाओं पर केंद्र सरकार की तरफ से सही कदम उठाने की गुजारिश की। परियोजनाओं को लेकर हुई केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के साथ उनकी बातचीत सकारात्मक रही है। बैठक के दौरान केंद्रीय मंत्री ने इस मामले को प्रधानमंत्री के सामने रखने का भरोसा दिया।
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बैठक के दौरान सीएम त्रिवेंद्र ने कहा कि राज्य में जलविद्युत उत्पादन क्षमता 25 हजार मेगावाट है। पर्यावरणीय दृष्टिकोण और सतत विकास के लिहाज से लगभग 17 हजार मेगावाट विद्युत क्षमता का आकलन किया गया है। मौजूदा वक्त में सिर्फ चार हजार मेगावाट क्षमता का ही दोहन हो सका है। मुख्यमंत्री ने बताया कि अलकनंदा और भागीरथी नदी घाटी में 70 जलविद्युत परियोजनाओं में 19 ही परिचालित हैं। जबकि पर्यावरणीय वजहों और सुप्रीम कोर्ट के आदेश के चलते करीब 4000 मेगावाट की 33 जलविद्युत परियोजनाओं के निर्माण कार्य बाधित हैं। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर गठित विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट में 10 जलविद्युत परियोजनाओं के क्रियान्वयन की सिफारिश की गई। इन पर केंद्र सरकार ने भी सहमति दी है। लेकिन समिति ने 24 परियोजनाओं की 2676 मेगावाट क्षमता का क्रियान्वयन न किए जाने की सिफारिश की है।
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इसमें करीब 27 हजार करोड़ निवेश की संभावना थी। इन परियोजनाओं पर 1540 करोड़ रुपये की धनराशि खर्च की जा चुकी है। इसके साथ ही विष्णुगाड पीपलकोटी 444 मेगावाट, फाटा भ्यूंग 76 मेगावाट, सिंगोली भटवाड़ी 99 मेगावाट की कुल 619 मेगावाट की योजनाओं पर कुल 7294 करोड़ रुपये के सापेक्ष 3700 करोड़ खर्च किए जा चुके हैं। बैठक के दौरान मुख्यमंत्री ने कहा कि करीब 80 फीसद धनराशि खर्च होने के बाद इन परियोजनाओं पर रोक लगाना राज्य हित में नहीं होगा। उन्होंने कहा कि भागीरथी और गंगा बेसिन से अलग नदियों में लंबित जलविद्युत परियोजनाओं को शुरू करना राज्य हित में बेहद जरूरी है। इस मुलाकात के बाद राज्य की एक बार फिर उम्मीद जगी है कि 24 बंद पड़ी जल विद्युत परियोजनाओं के काम की फिर शुरुआत हो सकेगी, क्योंकि इनपरियोजनाओं में सरकार पहले ही 80 फीसदी की धनराशि खर्च कर चुकी है।