image: indian army in jaspur uttarakhand

555 मिसाइलों के ढेर पर खड़ा था उत्तराखंड का ये इलाका, 14 साल बाद सेना ने की कार्रवाई

उत्तरांड में एक जगह ऐसी भी है जो बीते 14 सालों से मिसाइलों के ढेर पर खड़ी थी। 14 साल बाद सेना ने इस जगह पर अपना ऑपरेशन शुरू कर दिया है।
Oct 13 2018 11:24AM, Writer:कपिल

खबर ऐसी है कि आपको पढ़कर ही हैरानी होगी। खबर का लब्ब-ओ-लुआब ये है कि उत्तराखंड में बीते 14 सालों से एक जगह मिसाइलों के ढेर पर खड़ी थी। कई साल पर विदे से मंगाए गए स्क्रैप के ढेर में 555 मिसाइलें आ गई थीं। उस दौरान एक मिसाइल के ब्लास्ट होने से एक श्रमिक की मौत भी हो गई थी। उसके बाद पूरे उत्तराखंड में ही हड़कंप मच गया था। अब 14 साल बाद उन 55 मिसाइलों को नष्ट किया जा रहा है। हम बात कर रहे हैं काशीपुर स्थित एसजी स्टील फैक्ट्री की। 21 दिसंबर 2004 को यहां स्क्रैप में 555 मिसाइलें आ गई थीं। इसका खुलासा तब हुआ था, जब स्क्रैप को काटने के लिए मशीन में डाला गया। इस दौरान एक मिसाइल में ब्लास्ट हुआ और एक श्रमिक की मौत हो गई। बाद में जांच की गई तो पता चला कि यहां 67 बड़ी और 488 छोटी मिसाइलें हैं।

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इस दौरान इन तमाम मिसाइलों को प्रशासन ने एहतियातन जसपुर की पतरामपुर पुलिस चौकी के पीछे जमीन में दफना दिया था। साल 2005 में एनएसजी की टीम जसपुर पहुंची थी लेकिन उस दौरान मिसाइलों को निष्क्रिय करने का पूरा सामान नहीं था। इस वजह से काम रुक गया और एनएसजी की टीम वापस चली गई। तब से लगातार इन मिसाइलों को निष्क्रिय करने की मांग उठती रही। आखिरकार एसएसपी सदानंद दाते ने इन मिसाइलों को निष्क्रिय करने के लिए पुलिस मुख्यालय से पत्राचार किया। आखिरकार इसके लिए बजट स्वीकृत किया गया। तब जाकर इस जगह में 14 साल बाद भारतीय सेना ने 'ऑपरेशन 555 पतरामपुर' शुरू किया है। शुक्रवार को जमीन में दबी 190 मिसाइलें निकाली गई। दो दिन में लगातार खुदाई की गई और नदी के किनारे में सभी को नष्ट किया गया। सेना का ऑपरेशन लगातार जारी है।

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सेना के ऑपरेशन के दौरान आधा किलोमीटर इलाके से लोगों को हटाया गया। मौके पर पुलिस और सेना के आला अफसर भी मौजूद रहे।भारतीय सेना की काउंटर एक्सप्लोसिव डिवाइस यूनिट के कैप्टन विकास मलिक और उनकी टीम ने जेसीबी की मदद से गहरे गड्ढे में दबीं मिसाइलें निकाली थी। शुक्रवार को भी खुदाई जारी रखी गई और 190 बाकी मिसािलें भी निकाली गई। इन मिसाइलों को अमानगढ़ गेट स्थित फीका नदी के किनारे ले जाया गया। वहां सेना से पांच गहरे गड्ढे बनाए। पूरे क्षेत्र को डेंजर जोन घोषित किया गया। करीब सात सौ मीटर दूर से इन मिसाइलों को एक एक कर नष्ट किया गया। धमाके इतने तेज थे कि दूर दूर तक आवाजें सुनी गईं। सेना के अधिकारियों के मुताबिक मिसाइलों का नष्ट करने का काम लगातार जारी रहेगा।


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