गढ़वाल की ‘दामिनी‘ को इंसाफ दिलाएगा महिला आयोग, सफदरजंग अस्पताल में हालत गंभीर
पौड़ी गढ़वाल में सिरफिरे की करतूत का शिकार बनी छात्रा का इलाज दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में चल रहा है। हालत गंभीर बताई जा रही है।
Dec 21 2018 5:29AM, Writer:रश्मि पुनेठा
उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल की छात्रा, जिसे एक वहशी ने जिंदा जला दिया। वो बेटी दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में भर्ती है। छात्रा की हालत अभी नाजुक बताई जा रही है। सफदरजंग अस्पताल में छात्रा को वेंटीलेटर पर रखा गया है। अस्पताल में राष्ट्रीय महिला आयोग और राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग की टीम पहुंची। उन्होंने छात्रा के परिजनों से मुलाकात की और कहा कि दोषी को सख्त सजा दिलाई जाएगी। राष्ट्रीय महिला आयोग की सदस्य चंद्रमुखी देवी ने डॉक्टर्स को निर्देश दिए हैं कि छात्रा के इलाज में किसी भी तरह की कमी ना हो। वो जल्द ही उत्तराखंड पुलिस से संपर्क करेंगी और दोषी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की अपील करेंगी। फिलहाल छात्रा वेंटीलेटर पर है और हालत गंभीर ही बताई जा रही है। इसलिए आप भी दुआ करें। आइए आपको बताते हैं कि ये पूरा मामला क्या है।
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ये वारदात पौड़ी जिले के कफोलस्यूं पट्टी की है। बीएससी सेकेंड ईयर की छात्रा प्रैक्टिकल परीक्षा देकर स्कूटी से घर की तरफ लौट रही थी। इस बीच गहड़ गाव का शख्स मनोज उसका पीछा करते हुए भीमली तक आ पहुंचा। उसने पहले युवती का रास्ता रोका और फिर जबरदस्ती करने की कोशिश की। जब छात्रा ने इस बात का विरोध किया, तो हैवान शख्स ने उस पर पेट्रोल छिड़ककर आग के हवाले कर दिया। इसके बाद आरोपी मौके से भाग गया। इलाका सुनसान था और छात्रा की चीख किसी को नहीं सुनाई दी। इस बीच वहां से गुजर रहे एक शख्स ने छात्रा को झुलसी हालत में पड़े देखा और तुरंत पुलिस को खबर कर दी। तुरंत ही आपात कालीन सेवा की मदद से छात्रा को जिला अस्पताल पौड़ी लाया गया।
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शुरुआती इलाज किया गया लेकिन छात्रा की हालत बेहद खराब हो गई थी। इसके बाद छात्रा को श्रीनगर मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया गया। बताया जा रहा है कि छात्रा का शरीर लगभग 70 प्रतिशत झुलसा हुआ है। शुरुआती जांच कहती है कि आरोपी शख्स तीन चार दिन से छात्रा को परेशान कर रहा था। उसने बकायदा छात्रा को आग लगाई और इसके बाद उसकी मां को फौन पर कहा कि ‘तुम्हारी बेटी को जला दिया है, अब जो करना है तो कर लो।’ इस वारदात के बाद से इलाके के लोग गुस्से में हैं।
सवाल ये है कि आखिर पहाड़ पर ये किसकी नज़र लग गई? आखिर इस मानसिकता को क्या हो गया है? पहाड़ में अब तक ऐसी खबरें बहुत कम सुनने को मिली हैं, ऐसे में ये खबर रौंगटे खड़े कर देती है और साथ ही सवाल खड़े करती है कि क्या वास्तव में पहाड़ में भी अब बेटियां सुरक्षित नहीं रह गई ?