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पहाड़ में पिरूल से पैदा होगा रोजगार, वैज्ञानिकों ने ढूंढी तरकीब..युवाओं के लिए अच्छी खबर

पहाड़ में पिरूल से रोजगार के मौके पैदा करने की कोशिश रंग ला रही है...अब पहाड़ों में पिरूल कमाई का जरिया बनेगा...ये कैसे होगा चलिए जानते हैं..तस्वीरें भी देखिए
May 14 2019 3:09PM, Writer:कोमल नेगी

पहाड़ में संसाधनों की कमी नहीं है, जरूरत है तो बस उनका बेहतर इस्तेमाल करने की...इन दिनों उत्तराखंड में पिरूल से रोजगार के मौके तलाश किए जा रहे हैं और गोविंद बल्लभ पंत राष्ट्रीय हिमालयन पर्यावरण एवं सतत विकास संस्थान अल्मोड़ा के वैज्ञानिकों को इस प्रयास में सफलता भी मिली है। अब पहाड़ में पिरूल से कैरी बैग, फोल्डर, फाइल, लिफाफे और डिस्प्ले बोर्ड जैसी चीजें बनाई जाएंगी, अल्मोड़ा के वैज्ञानिकों ने इसकी तरकीब खोज निकाली है। जीबी पंत पर्यावरण संस्थान ने कोसी में पाइन पत्ती प्रसंस्करण इकाई बनाई है। जिसमें चीड़ की पत्तियों को इकट्ठा कर इससे कई तरह के प्रोडक्ट्स बनाए जाएंगे। पाइन पत्ती प्रसंस्करण इकाई में सबसे पहले पिरूल को रैग चैपर में डालकर उसके छोटे-छोटे टुकड़े किए जाते हैं। बाद में इसकी कुटाई करने के बाद इसे अलग-अलग प्रोसेस से गुजारा जाता है, तब तैयार होता है पिरूल से बना गत्ता, जिससे कई प्रोडक्ट्स बनाए जा सकते हैं। इन दिनों ग्रामीण इलाकों में पिरूल के गत्ते से बने शादी के कार्ड भी खूब पसंद किए जा रहे हैं, ये बेहद आकर्षक हैं यही वजह है कि इनकी डिमांड लगातार बढ़ रही है। इसके अलावा पिरूल के पत्तों की टोकरियां भी बन रही हैं।

रोजगार के अवसर खुलेंगे

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पिरूल के जरिए अब पहाड़ों में रोजगार के अवसर खुलेंगे, पलायन पर रोक लगेगी। इससे एक और फायदा ये होगा कि जंगलों को आग लगने से बचाया जा सकेगा, इससे वन विभाग के वो करोड़ों रुपये बच जाएंगे जो कि जंगल में लगी आग को बुझाने में खर्च होते हैं।

अल्मोड़ा के वैज्ञानकों ने समस्या का हल निकाला

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दरअसल पहाड़ के जंगलों में लगने वाली आग के लिए पिरूल बहुत बदनाम है...चीड़ की पत्तियां ज्वलनशील होती हैं और ये जल्दी आग पकड़ लेती हैं। इससे हर साल वन संपदा के साथ ही जीव-जंतुओं को भी नुकसान होता है। अच्छी बात ये है कि अब अल्मोड़ा के वैज्ञानकों ने इस समस्या का हल निकाल लिया है।

कोशिशों के अच्छे नतीजे भी दिख रहे हैं

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पिरूल से प्रोडक्ट्स बनाने के लिए पूरी योजना तैयार कर ली गई है। आपको बता दें कि पिरूल से बिजली पैदा करने के साथ इससे तारपिन ऑयल और इसके कचरे से बायो फ्यूल बनाने की भी तैयारी चल रही है। इन कोशिशों के अच्छे नतीजे भी दिख रहे हैं...पिरूल अब पहाड़ों में रोजगार का जरिया बनेगा, इससे पलायन रुकेगा साथ ही लोगों की आर्थिक स्थिति भी मजबूत होगी।


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