कोदे की रोटी, चेंसू का साग, कफली और थिंच्वड़ी के साथ..ये है पहाड़ी किचन का बेमिसाल टेस्ट
पहाड़ी खाने के शौकिनों के लिए पहाड़ी किचन में हर इंतजाम है, हाल ही में डीएम मंगेश घिल्डियाल भी अपने परिवार संग यहां के पहाड़ी खाने का लुत्फ उठाने पहुंचे...
Sep 23 2019 10:36AM, Writer:कोमल नेगी
पहाड़ी खान-पान की बात ही अलग है। पहाड़ों में पैदा अनाज स्वादिष्ट तो होता ही है, साथ ही पौष्टिक भी, इसीलिए पहाड़ी अनाज को पौष्टिकता की खान कहा जाता है। बदलते वक्त के साथ पहाड़ी अनाज हमारी जिंदगी से दूर हो रहे हैं, पर कुछ लोग ऐसे भी हैं, जो कि संस्कृति के साथ-साथ हमारे खान-पान को बचाए रखने की जद्दोजहद में जुटे हैं। एक ऐसी ही कोशिश रुद्रप्रयाग जिले के सोनप्रयाग में हो रही है। सोनप्रयाग में एक रेस्टोरेंट है, जहां सिर्फ पहाड़ी व्यंजन परोसे जाते हैं। इस रेस्टोरेंट का नाम है पहाड़ी किचन, पहाड़ी किचन में आपको कफली, थिंच्वणी, चैंसू और मंडुवे की रोटी का स्वाद लेने का मौका मिलेगा। भंगजीरे की चटनी और झंगोरे की खीर और भटवानी भी यहां के मेन्यू का अहम हिस्सा है। कुल मिलाकर पहाड़ी खाने के शौकिनों के लिए यहां सब कुछ है।
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हाल ही में रुद्रप्रयाग के डीएम मंगेश घिल्डियाल, उनकी पत्नी ऊषा घिल्डियाल और जिले के अन्य अधिकारी पहाड़ी किचन में खाने का लुत्फ उठाने पहुंचे। अफसरों ने ना सिर्फ खाने का लुत्फ उठाया, बल्कि रेस्टोरेंट के स्टाफ का हौसला भी बढ़ाया। डीएम मंगेश घिल्डियाल समाजसेवा के साथ-साथ संस्कृति को सहेजने के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने रेस्टोरेंट के सदस्यों के प्रयास की खूब तारीफ की, डीएम ने कहा कि ऐसे प्रयासों से हमारी संस्कृति और पहचान को बनाए रखने में मदद मिलेगी। साथ ही रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे। डीएम मंगेश घिल्डियाल ने उन बीमार लोगों का हालचाल भी पूछा, जिनका यूथ फाउंडेशन की मदद से दिल्ली में इलाज कराया जा रहा है। डीएम और उनकी पत्नी ऊषा घिल्डियाल ने ना सिर्फ लोगों का उत्साह बढ़ाया, बल्कि उनके साथ तस्वीरें भी खिंचवाईं। डीएम और उनके परिवार को अपने बीच पाकर रेस्टोरेंटकर्मी भी बेहद खुश दिखे। उन्होंने इसे यादगार अनुभव बताया।