पहाड़ की पी़ड़ा: एंबुलेस में ही हुआ विधायक के रिश्तेदार का प्रसव, नवजात की मौत
अल्मोड़ा में दर्द से तड़पती प्रसूता ने एंबुलेंस में नवजात का जन्म दिया, समय पर इलाज ना मिलने से नवजात की मौत हो गई..
Oct 4 2019 6:42PM, Writer:कोमल नेगी
पहाड़ की जिंदगी पहाड़ जैसी ही है। ना अच्छे स्कूल हैं, ना स्वास्थ्य सेवाएं, ऐसे में कोई गांव ना छोड़े तो क्या करे। अब अल्मोड़ा में ही देख लें, यहां प्रसव पीड़ा से तड़पती महिला ने एंबुलेंस में बच्ची को जन्म दिया, लेकिन समय पर इलाज ना मिलने से नवजात की मौत हो गई। जिस महिला के साथ ये घटना हुई वो गंगोलीहाट की विधायक मीना गंगोला की देवरानी है। जब एक जनप्रतिनिधि के रिश्तेदार तक को इलाज के लिए तड़पना पड़ रहा है तो सोचिए आम महिलाओं का क्या हाल होता होगा। ये खबर अल्मोड़ा की जरूर है, लेकिन कहानी पूरे प्रदेश की है। हिंदुस्तान में छपी खबर के मुताबिक दीपा गंगोला को प्रसव पीड़ा होने पर बेरीनाग के अस्पताल में भर्ती कराया गया था। 4 घंटे तक इलाज भी चला, बाद में डॉक्टरों ने कहा कि यहां पर इलाज की अच्छी व्यवस्था नहीं है मरीज को हायर सेंटर ले जाओ। परिजनों ने 108 एंबुलेंस बुलाई और दीपा को अल्मोड़ा ले गए। पर कांचुलापुल के पास पहुंचते ही दीपा दर्द से तड़पने लगी।
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बाद में 108 को रोक कर महिला का प्रसव कराया गया। महिला ने स्वस्थ नवजात बच्ची को जन्म दिया था। बाद में जच्चा और बच्चा को एंबुलेंस से अल्मोड़ा के अंजलि हॉस्पिटल पहुंचाया गया। ये दूरी तय करते-करते रात के 9 बज गए, जब तक परिजन अस्पताल पहुंचे मासूम की सांसें थम चुकी थीं। डॉक्टरों ने जैसे ही शिशु की मौत की खबर परिजनों को दी, उन पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। परिजन रोने-बिलखने लगे। फिलहाल दीपा को अस्पताल में भर्ती कर दिया गया है। दीपा की हालत में सुधार है, पर बच्चे को खो देने की वजह से वो सदमे में है। परिवार में मातम पसरा है। ग्रामीणों ने भी घटना पर रोष जताया। उन्होंने कहा कि गांवों में अस्पताल तो खोल दिए गए हैं, पर अस्पतालों में विशेषज्ञ डॉक्टर नहीं हैं। यहां सुरक्षित प्रसव होना महिला के लिए दूसरा जन्म ही है, क्योंकि इलाज के अभाव में या तो बच्चे की मौत हो जाती है, या फिर प्रसूता की...कई बार दोनों की ही जान पर बन आती है। इस बारे में क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों से लेकर आला-अफसरों तक कई बार शिकायत की गई, पर हालात नहीं बदले।