उत्तराखंड में पंचायत चुनाव के बाद 50 सदस्य गायब, आयोग ने कहा-दर्ज करो मुकदमा
गांव की छोटी सरकार चुन लिए जाने के बाद जिला पंचायत अध्यक्ष चुने जाने हैं, लेकिन चुनाव से पहले जिला-क्षेत्र पंचायतों के 50 सदस्य गायब हो गए हैं...
Oct 27 2019 1:43PM, Writer:कोमल नेगी
उत्तराखंड में गांवों की छोटी सरकार चुन ली गई है। जिला और क्षेत्र पंचायत सदस्यों का चुनाव हो चुका है। अब जिला पंचायत अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, ब्लॉक प्रमुख, ज्येष्ठ उप प्रमुख और कनिष्ठ उप प्रमुख पदों के लिए चुनाव होने हैं। जिला प्रशासन तैयारी में जुटा है, लेकिन चुनाव की तैयारियों के बीच इस बार भी जिला और क्षेत्र पंचायत के करीब 50 सदस्य अचानक गायब हो गए। ये कहां चले गए किसी को कोई खबर नहीं। राज्य निर्वाचन आयोग ने इस मामले को गंभीरता से लिया है। जिलाधिकारियों और पुलिस कप्तानों से कहा है कि इन सदस्यों को ढूंढकर लाएं, अगर कोई दोषी मिलता है तो उसे कतई ना बख्शें। दोषी पाए जाने वालों के खिलाफ केस दर्ज करें। जिला और क्षेत्र पंचायत सदस्यों के गायब होने की वजह क्या है, आपको इस बारे में भी जानना चाहिए।
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दरअसल जिला और क्षेत्र पंचायतों के अध्यक्षों के चुनाव में सदस्यों की खरीद-फरोख्त, अपहरण और यहां तक की उन्हें विदेश घुमाने तक के आरोप लगते रहे हैं। पंचायत चुनाव में हर बार इस तरह के मामले सामने आते हैं। इस संबंध में देहरादून के रहने वाले वकील विपुल जैन ने हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी, जिस पर उच्च न्यायालय ने सख्त रुख अपनाया। हाईकोर्ट ने 17 अक्तूबर 2019 को आदेश पारित कर यह साफ कहा कि अगर खरीद फरोख्त या अन्य तरीके से जिला पंचायत अध्यक्ष और क्षेत्र प्रमुख के चुनाव का प्रभावित होना पाया जाता है तो मुकदमा दर्ज करें। सूत्रों से मिली खबर के अनुसार इस वक्त प्रदेश के चार जिलों से करीब 50 जिला पंचायत और क्षेत्र पंचायत सदस्य गायब हैं। ये जिले हैं नैनीताल, पिथौरागढ़, चंपावत और पौड़ी गढ़वाल। इन जिलों के 8 विकासखंडों के करीब 50 जिला और क्षेत्र पंचायत सदस्यों का सुराग नहीं लग रहा। राज्य निर्वाचन आयोग ने सभी जिलों के जिलाधिकारियों और पुलिस अधिकारियों को पत्र लिख कर गायब रहने वाले जिला एवं क्षेत्र पंचायत सदस्यों का पता लगाने का आदेश दिया है।