image: Depth of nainital lake reduced due to waste and debris

उत्तराखंड में DM हो तो ऐसा, नैनी झील की सेहत सुधारने आये ISRO के वैज्ञानिक

डीएम सविन बंसल की नैनी झील को बचाने की मुहिम रंग ला रही है, इसरो के वैज्ञानिकों ने झील के सर्वे का काम शुरू कर दिया है...
Nov 14 2019 12:48PM, Writer:कोमल नेगी

उत्तराखंड की सरोवर नगरी नैनीताल, ये शहर अपनी खूबसूरती के लिए पूरी दुनिया में मशहूर है। हर साल लाखों पर्यटक नैनीताल की प्राकृतिक छटा निहारने आते हैं। नैनीताल का मुख्य आकर्षण है यहां स्थित नैनी झील सरोवर, इस सरोवर की खूबसूरती को शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता, पर पर्यावरण में आ रहे बदलाव का असर नैनी झील पर भी पड़ने लगा है। झील की गहराई कम हो रही है। बरसात के मौसम में पानी के संग्रहण में भी कमी आई है। नैनी झील बदरंग हो रही है, हालांकि अच्छी बात ये है कि झील की सेहत सुधारने के प्रयास तेज हो गए हैं। डीएम सविन बंसल के प्रयास रंग ला रहे हैं। शनिवार को इसरो वैज्ञानिकों का एक दल नैनीताल पहुंचा, जो कि नैनी झील का तकनीकी तौर पर अध्ययन कर रहा है। हाईटेक मशीनों से झील की गहराई नापी जा रही है। झील की तलहटी में जमा मलबे और दूसरे पदार्थों का भी अध्ययन किया जा रहा है।

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रविवार को डीएम सविन बंसल भी मौके पर पहुंचे। उन्होंने वैज्ञानिकों संग नैनी झील में चल रहे सर्वे का जायजा लिया। ये पहला मौका है जबकि इसरो के वैज्ञानिकों का दल नैनीताल आया है। सर्वे के लिए वैज्ञानिकों ने किसी भी तरह की फीस भी नहीं ली। वैज्ञानिकों ने सोनार सिस्टम की मदद से झील का अध्ययन किया। जिसमें झील के कई हिस्सों में गंदगी जमा होने के संकेत मिले हैं। झील के पानी की गुणवत्ता भी चेक की जा रही है। डीएम सविन बंसल ने कहा कि नैनी झील का घटता जलस्तर चिंता का विषय है। झील की तकनीकी मैपिंग ना होने की वजह से अब तक ये पता नहीं चल पा रहा था, कि झील में कितना मलबा जमा है। मैपिंग होने के बाद ये पता चल सकेगा कि झील में जमा मलबे की स्थिति क्या है, उसी के अनुसार तकनीकी कार्यवाही भी की जाएगी। नैनी झील को रिचार्ज करने वाले नालों की सफाई कराई कराई गई है, जाली भी लगा दी गई हैं। नैनी झील को रिचार्ज करने के लिए खास प्लानिंग की गई है। सूखाताल में बरसात का पानी जमा करने के इंतजाम किए जाएंगे। आस-पास के क्षेत्रों में पेड़-पौधे लगाए जाएंगे ताकि नैनी झील को संरक्षित किया जा सके।


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