image: Landslide in pitthouragarh

पिथौरागढ़ में प्रकृति का कहर, भूस्खलन से गांव में मचा हाहाकार..कई पशु मलबे में दबे

रविवार की दोपहर चटख धूप खिली थी कि तभी गांव के पास स्थित पहाड़ दरकने लगा, देखते ही देखते 12 मवेशी मलबे में दब गए...
Nov 19 2019 2:31PM, Writer:कोमल नेगी

उत्तराखंड और आपदा एक दूसरे के पर्याय बन गए हैं। बरसात थम गई है, लेकिन पहाड़ों के दरकने का सिलसिला नहीं थम रहा। मामला पिथौरागढ़ का है, जहां बंगापानी तहसील के लोगों पर कुदरत का कहर टूट पड़ा। झापुली तोक गांव में रविवार को एक पहाड़ दरक गया। पहाड़ के मलबे में 10-12 मवेशी दब गए। गांव के लोगों ने किसी तरह वहां से भागकर अपनी जान बचाई। पहाड़ दरकने के बाद पूरी घाटी गुबार से भर गई। हर तरफ बस धूल के गुबार नजर आ रहे थे। जिस गांव में ये घटना हुई, वो मदकोट क्षेत्र के दुर्गम इलामों में से एक है। गांव के लोगों ने बताया कि जिस वक्त पहाड़ दरका, उस वक्त वो जंगल में अपने मवेशी चरा रहे थे। ये सब इतना अचानक हुआ कि उन्हें अपने मवेशियों को बचाने का वक्त ही नहीं मिल पाया।

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ग्रामीणों ने किसी तरह अपनी जान बचाई, हालांकि भागते वक्त उन्हें हल्की-फुल्की चोट आई है। पहाड़ दरकने के बाद लोग डरे हुए हैं। गांव में पेयजल लाइन, बिजली पोल ध्वस्त हो चुके हैं। खेतों में भी मलबा जमा है। रविवार का दिन तल्ला झापुली तोक गांव के लोगों के लिए सामान्य दिन जैसा था। धूप खिली थी, पर गांव के पास स्थित पहाड़ के भीतर कुछ हलचल हो रही थी। अचानक पहाड़ दरकने की गर्जना सुनाई देने लगी। लोग जान बचाकर भागने लगे, पर पहाड़ के पास घास चर रहे मवेशी मलबे में दब गए। गांव में पेयजल लाइन और बिजली के पोल ध्वस्त हो चुके हैं। पानी की सप्लाई नहीं हो रही। गांव में दस से ज्यादा परिवार रहते हैं। डरे हुए ग्रामीणों ने प्रशासन से खतरे की जद में आए परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने की मांग की। राजस्व टीम गांव के लिए रवाना हो चुकी है। टीम के मौके पर पहुंचने के बाद ही स्थिति साफ हो पाएगी।


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