अब पहाड़ में उत्पात नहीं मचाएंगे बंदर, गढवाल और कुमाऊं में 100-100 हेक्टेयर में बनेंगे बंदरबाड़े
गढ़वाल और कुमाऊं मंडल में सौ-सौ हेक्टेयर के दो बंदरबाड़े बनाए जाएंगे, हर बंदरबाड़े में 25 हजार बंदरों को रखा जाएगा..
Nov 27 2019 3:01PM, Writer:कोमल नेगी
पहाड़ में गुलदार-हाथियों के अलावा बंदर भी आतंक का सबब बने हुए हैं। बंदर लोगों पर हमला करते हैं, फसल को नुकसान भी पहुंचाते हैं। वन विभाग ने बंदरों की संख्या को काबू में रखने के लिए कई योजनाएं भी चलाईं, पर नतीजा कुछ नहीं निकला। अब बंदरों का आतंक खत्म करने के लिए उन्हें बाड़े में रखने की योजना बनाई जा रही है। उत्तराखंड में दो बंदरबाड़े बनेंगे, जिनमें 25-25 हजार बंदरों को रखने की क्षमता होगी। बंदरबाड़ा सौ हेक्टेयर भूमि में बनेगा। सौ-सौ हेक्टेयर वाले इन बाड़ों में से एक कुमाऊं और एक गढ़वाल में स्थापित किया जाएगा। सचिवालय में हुई राज्य वन्यजीव बोर्ड की बैठक में इस प्रस्ताव को स्वीकृति मिल गई है। बैठक में बोर्ड ने बंदरों को पीड़क (वर्मिन) घोषित करने के लिए केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजने की भी सहमति दी। बोर्ड ने माना कि पहाड़ में बंदर आतंक का सबब बने हुए हैं। बंदरों के आतंक की वजह से लोग खेती छोड़ रहे हैं। बंदर खड़ी फसल को नष्ट कर देते हैं।
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बोर्ड के सामने बंदरों को पीड़क घोषित कर उन्हें मारने का प्रस्ताव भी रखा गया था। हिमाचल प्रदेश में ये व्यवस्था पहले से लागू है। बोर्ड ने प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है, पर ये भी कहा है कि इससे समस्या का पूरा समाधान नहीं होगा। लोग धार्मिक भावना के चलते बंदरों को नहीं मारते। इसलिए उन्हें बंदरबाड़ों में रखना बेहतर विकल्प होगा। बंदरबाड़ों को प्राकृतिक आवास के रूप में विकसित किया जाएगा। जहां प्राकृतिक आहार की व्यवस्था की जाएगी। बैठक मे सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि संरक्षित क्षेत्रों से दूसरी जगह शिफ्ट किए गए वन्य ग्रामों के लोगों को भूमि संबंधी अधिकार मिलने चाहिए। बैठक में गंगोत्री राष्ट्रीय उद्यान में सीढ़ीनुमा मार्ग बनाने, नीलापानी में ऑपरेशनल ट्रैक के निर्माण और पुलम सुमदा क्षेत्र मे बने हेलीपैड के विस्तार समेत 13 प्रस्तावों को मंजूरी मिली। बैठक में वन मंत्री हरक सिंह रावत, प्रमुख सचिव आनंद बर्द्धन, मुख्य वन संरक्षक जयराज और राज्य वन्य जीव परिषद के सदस्य मौजूद थे।