देवभूमि की सीता देवी..कभी लोग उड़ाते थे मज़ाक, अब खेती से कमाया रुपया और नाम
सीता देवी जिले की पहली कीवी किसान हैं, लोग अब उन्हें कीवी क्वीन के नाम से जानते हैं...
Jan 7 2020 6:47PM, Writer:कोमल
पहाड़ की महिलाएं अपनी कर्मठता के लिए जानी जाती हैं। जिन गांवों के युवा नौकरी के लिए परदेस चले गए हैं, उन गांवों को आबाद रखने जिम्मेदारी पहाड़ की महिलाएं अच्छी तरह निभा रही हैं। इन्हीं महिलाओं में से एक हैं नई टिहरी की सीता देवी। सीता देवी अपने खेतों में कीवी की खेती करती हैं, इस विदेशी फल की पैदावार से उन्हें अच्छी आमदनी हो रही है। गांव वाले अपनी बहू-बेटियों को उनकी मिसाल देते हैं। गृहणी से सफल किसान बनने तक का सफर सीता देवी के लिए आसान नहीं था। नरेंद्रनगर ब्लॉक में एक गांव है दुवाकोटी। सीता देवी इसी गांव की रहने वाली हैं। उनका परिवार खेती करता था, पर जंगली जानवर फसल को बर्बाद कर देते थे। खेती में नुकसान हो रहा था, लेकिन परिवार के हालात उन्हें खेती छोड़ने की इजाजत नहीं दे रहे थे। साल 2018 में उन्हें पता चला कि उद्यान विभाग कीवी की खेती के लिए योजना चला रहा है।
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सीता ने भी परंपरागत फसल की बजाय कीवी की खेती में हाथ आजमाने का फैसला किया। विभाग ने उन्हें कीवी फसल के उत्पादन की ट्रेनिंग के हिमाचल प्रदेश भेजा। वापस लौटकर सीता अपने खेतों में पसीना बहाने लगीं। तब गांव वालों ने उनका खूब मजाक बनाया। गांव के लोगों ने ना तो कीवी का नाम सुना था और ना ही इसे कभी देखा था। सीता को भी खूब ताने दिए गये, पर सीता हारी नहीं। जी-जान से कीवी के पौधों की देखभाल में जुटी रहीं। पति राजेंद्र और दोनों बेटों ने भी उनकी मदद की। जिसकी बदौलत एक साल में कीवी का बगीचा तैयार हो गया। सीता देवी जिले की पहली कीवी किसान हैं। लोग अब उन्हें कीवी क्वीन के नाम से जानते हैं। उद्यान विभाग ने मार्च 2020 में उनके बगीचे में एक क्विंाटल कीवी के उत्पादन का लक्ष्य निर्धारित किया है। उद्यान विभाग ने साल 2018 में 45 काश्तकारों को कीवी के पौधे बांटे थे, ताकि वो कीवी का बगीचा तैयार कर सकें। इन 45 लोगों में से सीता देवी ने सबसे बढ़िया नतीजे दिए। उनके सभी पौधे जीवित रहे। सीता देवी अब दूसरे किसानों को भी कीवी उत्पादन का प्रशिक्षण दे रही हैं। सीता की सफलता को देखकर क्षेत्र के अन्य किसान भी नगदी फसल और फल उत्पादन के लिए आगे आ रहे हैं।