उत्तराखंड की दिव्या रावत का कमाल, बांज की जड़ों में पनपेगा दुनिया का सबसे मंहगा मशरूम
मशरूम गर्ल दिव्या रावत (divya rawat) प्रदेश में खास तरह के मशरूम का उत्पादन करने जा रही हैं। बांज के पेड़ के पास पनपने वाले इस मशरूम की विदेशों में खूब डिमांड है...साथ ही ये मशरूम की सबसे महंगी प्रजाति है।
Feb 19 2020 2:39PM, Writer:कोमल नेगी
मशरूम गर्ल दिव्या रावत....ये नाम किसी पहचान का मोहताज नहीं है। मशरूम की खेती करने वाली पहाड़ की ये बेटी आज बड़े-बड़ों को रोजगार के हुनर सीखा रही है। वो राज्य में मशरूम उद्योग और स्वरोजगार का चेहरा हैं। हाल ही में उत्तराखंड की मशरूम गर्ल दिव्या रावत (divya rawat) ने राज्य में मिलने वाले बांज के पेड़ यानि ओक ट्री और यहां की मिट्टी का नमूना जांच के लिए यूएस सेंटर में भेजा। यूं समझ लीजिए कि दिव्या ने इसका उत्पादन शुरू कर दिया है और अब यूएस सेंटर से ग्रीन सिग्नल का इंतजार है। बांज के पेड़ों की जड़ों के पास खास किस्म का मशरूम पैदा होता है, जो कि मशरूम की सबसे विशाल किस्मों में से एक है। प्रदेश में इस तरह के मशरूम की खेती से रोजगार के अवसर विकसित होंगे। दिव्या (divya rawat) के मुताबिक ‘पलायन के कारण खाली पड़े मकानों में जहाँ हम मशरूम ऊगा रहे हैं वहीं अब खेती की बंजर पड़ी इस भूमि में बांज उगाई जा सकती हैं और भूमि का पूरा लाभ लिया जा सकता है।ऐसे में ट्रफल मशरूम बांज के पेड़ की जड़ो में अंडरग्राउंड लगे हुए होते हैं और इसको उत्तराखंड में भी तकनीकी और वैज्ञानिक तरीके से ऊगा सकते हैं।ट्रफल वह मशरूम है जो बांज के पेड़ की जड़ो को पोषित करती है। हमारे उत्तराखंड में पलायन के कारण गाँवों में बहुत सी कृषि भूमि बिना उपयोग के पड़ी हुए है , कई स्थानों में ऊंचाई वाले पर्वत बृक्ष विहीन हैं , ऐसी उपलब्ध भूमि में बांज के जंगल लगाये जा सकते है। पहाड़ का हरा सोना यानी बांज पर्यावरण को संरक्षित रखता है।’ बांज के पेड़ों के पास उगने वाले मशरूम की विदेशों में खूब डिमांड है। यूरोपीय देशों जैसे कि फ्रांस, क्रोएशिया, स्पेन, इटली और जर्मनी में इसे खूब पसंद किया जाता है। आगे जानिए इसके बेमिसाल फायदे
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इसकी कृत्रिम रूप से खेती की जाती है। दिव्या रावत (divya rawat) स्वरोजगार और मशरूम उद्योग का चेहरा हैं। उच्च शिक्षा हासिल करने के बाद दिव्या दिल्ली की एक कंपनी में जॉब कर रही थीं, पर साल 2012 में वो उत्तराखंड वापस चली आईं और मशरूम उत्पादन शुरू किया। आज दिव्या सौम्या फूड प्राइवेट कंपनी की मालकिन हैं, उनकी कंपनी का टर्नओवर लाखों में है। कंपनी के जरिए दिव्या कई युवाओं को रोजगार दे रही हैं। मोथरोवाला स्थित अपने घर में वो मशरूम प्लांट चलाती हैं। इस प्लांट में वर्ष भर में तीन तरह का मशरूम उत्पादित किया जाता है। सर्दियों में बटन, मिड सीजन में ओएस्टर और गर्मियों में मिल्की मशरूम का उत्पादन किया जाता है। मशरूम के एक बैग को तैयार करने में 50 से 60 रुपये लागत आती है, जो फसल देने पर अपनी कीमत का दो से तीन गुना मुनाफा देता है। दिव्या ने कर्णप्रयाग, चमोली, रुद्रप्रयाग, यमुना घाटी के विभिन्न गांवों की महिलाओं को इस काम से जोड़ा, उन्हें स्वावलंबी बनाया। दिव्या को देखकर आज कई महिलाएं मशरूम उत्पादन कर अच्छा मुनाफा कमा रही हैं। दिव्या ने मशरूम के प्रोडक्शन के साथ-साथ उसकी मार्केटिंग पर भी खूब ध्यान दिया। इसी हुनर ने उन्हें सफलता दिलाई। आज वो क्षेत्र के युवाओं के लिए मिसाल बन गई हैं।