उत्तराखंड: गांव में हुई पिता की मौत, दिल्ली में फंसे दो बेटे..दुखद घड़ी में मददगार बने सांसद
उत्तराखंड के दो लड़के..लॉकडाउन के बाद से दिल्ली में फंसे हुए थे और गांव में हुई उनके पिता की मृत्यु के बाद उनके अंतिम दर्शन की उम्मीद खो बैठे थे। आगे पढ़िए इंसानियत की अनोखी मिसाल देती ये खबर
Mar 28 2020 10:19PM, Writer:अनुष्का ढौंडियाल
कोरोना की वजह से पूरे देश को लॉकडाउन कर रखा है। इसी वजह से लोग जहां हैं, वहीं फंसे हुए हैं और घर से बाहर निकल पा रहे हैं। इसी लॉकडाउन के बीच कोरोना के लगातार बढ़ते हुए खौफ़ के बीच आज एक ऐसी खबर सामने आई है जिसने इंसानियत की एक बड़ी मिसाल समाज में पेश की है। जहां हम 21 दिनों के लिए लॉकडाउन हो चुके हैं, भारत ठप्प पड़ा हुआ है, सभी ट्रेन, हवाईजहाज, निरस्त हो रखे हैं, ऐसे में उत्तराखंड के सांसद अजय टम्टा ने दिल्ली में फंसे दो बेटों को उनके मृत पिता तक पहुँचाया। पिता की मृत्यु के पश्चात जब बेटों को ये बात बताई गई तो उनके सामने दिल्ली से घर वापस लौटने की समस्या हो गयी, लेकिन तभी बेटों की इस परेशानी को दूर किया सांसद अजय टम्टा ने। उन्होंने उन दोनों के लिए खुद मदद का इंतज़ाम किया ताकि दोनों बेटों को अपने मृत पिता के अंतिम दर्शन हो जाएं। आगे पढ़िए पूरी खबर...
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जानकारी के मुताबिक अल्मोड़ा के गांसी गांव के निवासी मानी राम(70) का शुक्रवार तकरीबन शाम 4 बजे निधन हो गया। मृतक मानी राम के दोनों बेटे प्रताप कुमार और गणेश राम दिल्ली में निजी कम्पनी में कार्यरत हैं। जैसे ही उनको उनके पिता की मृत्यु के बारे में पता चला मगर दोनों बेटों के आगे गांव जाने के तमाम रास्ते बन्द हो गए थे। लॉकडाउन के चलते वे दिल्ली में फंस गए। दोनों बेटों को उनके मृत पिता के आखिरी बार दर्शन कराने के लिए गांसी की प्रधान प्रीता देवी और जिला रेडक्रॉस सोसाइटी के चेयरमैन अशोक लोहनी ने सांसद अजय टम्टा से बात की। साथ ही साथ मृतक के पुत्रों ने भी सांसद अजय टम्टा से मदद की गुहार लगाई और सांसद अजय ने दोनों पुत्रों का गांसी आने के लिये पास बनवा दिया। रात में कैब से निकलकर दोनों लोग सुबह बागेश्वर पहुंचे जहां जिला रेडक्रॉस सोसाइटी के चेयरमैन अशोक लोहनी पहले से उन लोगों का इंतज़ार कर रहे थे। आग भी पढ़िए ये खबर
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दोनों बेटों के वहां पहुंचते ही अजय टम्टा और लोहनी का आभार जताया। " थैंक्स अजय टम्टा" इन शब्दों को बोलते समय दोनों बेटों की आँखों में अजय टम्टा के लिए इज़्ज़त और बढ़ी हुई नज़र आ रही थी। इसके बाद 50 किमी दूर अपने गांव गांसी के लिए दोनों पुत्र रवाना हुए और सांसद अजय टम्टा की बदौलत दोनों पुत्र अपने पिता की अंतिम यात्रा में शामिल हो पाए।