image: Teacher chandra pant saving forest from fire

उत्तराखंड: जंगलों को आग से बचाने अकेली चल पड़ी ये शिक्षिका..हाथ-पैर झुलसे, हिम्मत नहीं टूटी

एक महिला शिक्षक पहाड़ में जंगलों को आग से बचा रही हैं। उनकी इस मुहिम को हम बार बार सलाम करते हैं।
Jun 10 2020 9:33AM, Writer:अनुष्का ढौंडियाल

"मेरे उत्तराखंड के पहाड़ों में घुप्प अंधेरा छाया हुआ है। बहुत लोगों ने शायद डिनर भी कर लिया होगा। कुछ सोने की तैयारियां कर रहे होंगे, पर मैं अभी तक अकेले जंगलों में आग बुझा रही हूं। मैं दिन में नॉनस्टॉप ऐसा कर रही हूं। मैं देख पा रही हूं अभी भी जंगलों में दूर-दूर तक आग लगी है।" यह शब्द है पिथौरागढ़ जिले के बेरीनाग में एक शिक्षिका चंद्रा पंत के। यह तो हम सब जानते ही होंगे कि उत्तराखंड के जंगलों में आग लगने की खबरें आ रही हैं। इसी आग को बुझाने में लगी हुई हैं पिथौरागढ़ के बेरीनाग की निवासी चंद्रा पंत। आज राज्य समीक्षा आपको बताएगा कि कैसे चंद्रा पंत दिन-रात लगातार आग बुझाने के कार्य में लगी हुई है। चंद्रा पंत पिछले 10 दिनों से अपने गांव में लगी आग बुझाने में लगी हुई हैं। प्रकृति के साथ खिलवाड़ करने का हमारा कोई हक नहीं है। चलिए अब वापस चंद्रा पंत की कहानी की तरफ आते हैं। पिछले 10 दिनों से वह मानवों द्वारा आग को बुझाने में लगी हैं। पिथौरागढ़ जिले के ग्राम पंचायत सानीखेत के दिगतोली गांव की शिक्षिका चंद्रा पंत पिछले 10 दिनों से गांव के आसपास लगी आग को बुझा रही हैं। ऐसी हिम्मत शायद ही कोई करे। चंद्रा पंत ने फेसबुक पर अपना अनुभव शेयर किया। वह लिखती हैं कि वह प्रकृति और पर्यावरण से प्यार करती हैं इसलिए वह आग बुझाने का प्रयास कर रही हैं। आगे भी पढ़िए

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उन्होंने कहा कि आग लगाने वाले भले ही अपने फायदे के लिए एक साइड से आग लगाएंगे मगर उससे दोगुनी ताकत से वह दूसरी तरफ से आग बुझाएंगी। उन्होंने कहा कि रात-रात भर आग बुझाने पर उनको बहुत तंज कसे जाते हैं मगर उनको वृक्षों से और प्रकृति से प्रेम है और वह उनके संरक्षण के लिए किसी भी हद तक जा सकती हैं। आग बुझाना आसान नहीं है। वह बताती हैं कि उनके हाथ, पांव, मुंह, बाल आग बुझाते हुए बुरी तरह झुलस चुके हैं। होंठ चिपक चुके हैं और उनमें अब जलन होती है मगर अब भी चंद्रा पंत दिन-रात पहाड़ों के जलते हुए जंगलों की आग बुझाने में लगी हुई हैं। वह बताती हैं कि स्थानीय लोग जान-बूझ कर आग लगाते हैं। इतने धुएं से न बारिश होगी, न सांस ली जाएगी और वन संपदा एवं प्रकृति को अलग नुकसान पहुंचेगा। उन्होंने अपने गांव की कुछ तस्वीरें साझा की हैं जिनमें जंगलों में आग साफ तौर पर देखी जा रही है। उनका कहना है कि जंगलों में आग लगाना बड़ा अपराध है। ऐसे संवेदनहीन लोगों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्यवाही होनी चाहिए।

मेरे उत्तराखंड के पहाड़ों में घुप्प अंधेरा छा चुका है, शायद बहुत से लोगों ने डिनर भी कर लिया होगा, कुछ सोने की तैयारी में...

Posted by Chandra Pant on Sunday, June 7, 2020


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