उत्तराखंड के शिक्षा मंत्री बोले- प्राइवेट स्कूल की फीस देने में दिक्कत है तो बच्चों को सरकारी में पढ़ाओ
शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे ने अभिभावकों से कहा कि अगर उन्हें प्राइवेट स्कूल की फीस भरने में दिक्कत आ रही है, तो अपने बच्चों का सरकारी स्कूल में एडमिशन कराएं। इस बयान पर लोगों की मिली-जुली प्रतिक्रियाएं आ रही हैं...
Jun 11 2020 5:52PM, Writer:कोमल नेगी
अरविंद पांडे उत्तराखंड के शिक्षा मंत्री हैं। अपने काम के साथ-साथ अपने बयानों को लेकर भी अक्सर चर्चा में रहते हैं। इन दिनों उनके एक बयान की हर तरफ चर्चा हो रही है। हाल ही में शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय ने एक बयान दिया, जिसमें उन्होंने अभिभावकों से कहा कि अगर उन्हें प्राइवेट स्कूल की फीस भरने में दिक्कत आ रही है तो अपने बच्चों का सरकारी स्कूल में एडमिशन कराएं। बता दें कि लॉकडाउन के चलते परेशान अभिभावक फीस माफी की मांग कर रहे हैं। नैनीताल हाईकोर्ट ने भी शिक्षा सचिव को प्राइवेट स्कूलों में 3 महीने की फीस माफी से जुड़े मामले का जल्द निस्तारण करने के निर्देश दिए हैं। ये सब चर्चा चल ही रही थी कि अब इस मामले में शिक्षा मंत्री का बयान भी सामने आ गया है। फीस माफी की मांग पर शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे ने कहा कि अगर किसी अभिभावक को प्राइवेट स्कूल की फीस भरने में दिक्कत आ रही है, तो वो अपने बच्चों का सरकारी स्कूल में एडमिशन कराएं।
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शिक्षा मंत्री ये भी बोले कि वो अभिभावकों से वादा करते हैं कि उत्तराखंड के सरकारी स्कूलों में बच्चों को बेहतर शिक्षा दी जाएगी। प्रदेश के सरकारी स्कूलों में शिक्षा का स्तर सुधरा है। अगर कहीं कोई कमी है तो वो उसे दूर करने की कोशिश करेंगे। शिक्षा मंत्री ने कहा कि मैं बस इतना कहना चाहता हूं कि अगर सही में किसी अभिभावक के सामने प्राइवेट स्कूल की फीस जमा करने में दिक्कतें आ रही हैं, तो वो अपने बच्चों को सरकारी स्कूल में भेजें। हम वादा करते हैं कि सरकारी स्कूल में बच्चों को बेहतर शिक्षा दी जाएगी। खैर शिक्षा मंत्री ने ये वादा तो कर दिया, लेकिन इस बयान पर लोगों की मिली-जुली प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। प्रदेश के सरकारी स्कूलों का हाल किसी से छिपा नहीं है, ऐसे में शिक्षा मंत्री किस आधार पर अभिभावकों से वादे कर रहे हैं ये समझ से परे है। आपको बता दें कि नैनीताल हाईकोर्ट ने निजी स्कूलों द्वारा अभिभावकों से ट्यूशन समेत दूसरे मदों में फीस वसूले जाने के मामले में शिक्षा सचिव को एक हफ्ते के भीतर संबंधित प्रत्यावेदन पर कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं।