पहाड़ की अंतहीन पीड़ा..अस्पताल के लिए पैदल चलते चलते हुआ महिला का प्रसव
गांव के कच्चे रास्ते पर चलते-चलते रामप्यारी के पैरों में छाले पड़ गए। कई किलोमीटर पैदल चलने के बाद भी जब मदद की कोई आस ना रही तो रामप्यारी की हिम्मत जवाब दे गई...आगे पढ़िए पूरी खबर
Jul 15 2020 8:37PM, Writer:कोमल नेगी
स्वास्थ्य सेवाओं की कमी से जूझ रहे पहाड़ में महिलाएं सड़क-जंगलों में बच्चों को जन्म देने को मजबूर हैं। उत्तरकाशी की रहने वाली रामप्यारी को भी इसी पीड़ा से गुजरना पड़ा। रामप्यारी के गांव में सड़क नहीं है। मंगलवार को रामप्यारी को प्रसव पीड़ा शुरू हुई तो परिजन उसे लेकर अस्पताल के लिए पैदल ही निकल पड़े। गांव के कच्चे रास्ते पर चलते-चलते रामप्यारी के पैरों में छाले पड़ गए। वो पूरे रास्ते दर्द से तड़पती रही। कई किलोमीटर पैदल चलने के बाद भी जब मदद की कोई आस ना रही तो रामप्यारी की हिम्मत जवाब दे गई। उसने मुख्य सड़क तक पहुंचने से पहले गांव के रास्ते में ही बच्चे को जन्म दे दिया। शुक्र है कि रामप्यारी और उसका बच्चा दोनों सुरक्षित हैं। दोनों को इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
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32 साल की रामप्यारी और उसका परिवार उत्तरकाशी के हिमरोल गांव में रहता है। पहाड़ के दूसरे दूरस्थ गांवों की तरह ये गांव भी स्वास्थ्य सुविधाओं से महरूम है। गांव में सड़क नहीं है। अस्पताल 40 किलोमीटर दूर नौगांव में है। महिला के पति लक्ष्मण नौटियाल ने बताया कि आजादी के कई साल बीत जाने के बाद भी उनका गांव समस्याओं से आजाद नहीं हो पाया। गांव में मुख्य रोड तक पहुंचने के लिए सड़क नहीं है। गांव में सड़क होती तो वो अपनी पत्नी को समय पर अस्पताल पहुंचा पाते। उसे बच्चे को सड़क किनारे जन्म नहीं देना पड़ता। महिला के पति लक्ष्मण नौटियाल ने शुक्र जताया कि कोई अनहोनी नहीं हुई। सड़क किनारे डिलीवरी होने के बाद परिजन किसी तरह रामप्यारी को 40 किलोमीटर दूर स्थित सीएचसी नौगांव लेकर पहुंचे। जहां इलाज के बाद दोनों सकुशल हैं।
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परिजनों ने कहा कि अगर दोनों को सीएचसी लाने में देर हो जाती तो उनकी जान को खतरा हो सकता था, लेकिन शुक्र है कि दोनों की जान बच गई। उन्होंने बताया कि हिमरोल गांव की सड़क सिर्फ कागजों में बनी है। गांव से मुख्य सड़क तक पहुंचने के लिए लोगों को पैदल चलना पड़ता है। लॉकडाउन के दौरान प्रवासियों ने श्रमदान कर गांव में रोड बनाने का बीड़ा उठाया था, लेकिन आधा काम पूरा होने के बाद रास्ते में चट्टान आ गई। जिस वजह से रोड बनाने वालों की हिम्मत भी जवाब दे गई। सड़क ना होने की वजह से ग्रामीणों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है, लेकिन उनकी कोई सुध नहीं ले रहा।