उत्तराखंड के लिए अच्छी खबर, एयर एंबुलेंस सेवा से जुड़ेगा ऋषिकेश AIIMS, ट्रायल सफल
आपदा के दौरान कई लोग सिर्फ इसलिए दम तोड़ देते हैं, क्योंकि उन्हें समय पर इलाज नहीं मिल पाता। एम्स हॉस्पिटल एयर एंबुलेंस सेवा से जुड़ेगा तो ये समस्या काफी हद तक दूर हो जाएगी।
Jul 28 2020 6:40PM, Writer:Komal Negi
ऋषिकेश का एम्स हॉस्पिटल जल्द ही एयर एंबुलेंस सेवा से जुड़ने जा रहा है। आज ऋषिकेश एम्स में एयर एंबुलेंस लैंडिंग का सफल ट्रायल किया गया। एम्स में एयर एंबुलेंस लैंड कराने के लिए हर तरह की सुविधा मुहैया कराई गई है। जरूरत पड़ने पर यहां एक साथ 5 एयर एंबुलेंस की लैंडिंग की जा सकती है। एम्स में एयर एंबुलेंस सेवा की शुरुआत पहाड़ के मरीजों के लिए वरदान साबित होगी। उत्तराखंड के दूरस्थ इलाकों में स्वास्थ्य सेवाएं किस कदर बदहाल हैं, ये हम सब जानते हैं। आपदा के दौरान कई लोग सिर्फ इसलिए दम तोड़ देते हैं, क्योंकि उन्हें समय पर इलाज नहीं मिल पाता। एम्स हॉस्पिटल एयर एंबुलेंस सेवा से जुड़ेगा तो ये समस्या काफी हद तक दूर हो जाएगी।
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पहाड़ के मरीजों को आपात स्थिति में हायर सेंटर पहुंचाना आसान होगा। समय पर इलाज मिलने से ज्यादा से ज्यादा लोगों की जान बच सकेगी। ऋषिकेश एम्स को एयर एंबुलेंस सेवा से जोड़ने के शुरुआती प्रयास सफल रहे हैं। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान ऋषिकेश स्वास्थ्य के क्षेत्र में अपना दायरा बढ़ा रहा है। अब यहां एयर एंबुलेंस को लैंड कराने की सुविधा उपलब्ध हो गई है। मंगलवार को यहां एयर एंबुलेंस लैंडिंग का ट्रायल किया गया, जो कि सफल रहा। आने वाले वक्त में एम्स परिसर में एक साथ 5 एयर एंबुलेंस की लैंडिंग आसानी से कराई जा सकती है। ट्रायल के दौरान एम्स के निदेशक डॉ. रविकांत भी मौजूद रहे। उन्होंने तैयारियों का बारीकी से निरीक्षण किया।
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एम्स निदेशक डॉ. रविकांत ने कहा कि एयर एंबुलेंस सेवा पहाड़ के मरीजों के लिए वरदान साबित हो सकती है। सही समय पर एयर लिफ्ट करने की वजह कई मरीजों की जान बचाना संभव होगा। एम्स परिसर में एक साथ 5 एयर एंबुलेंस लैंड कर सकते हैं। जिससे डॉक्टर समय रहते इलाज शुरू कर मरीजों की जान बचा सकेंगे। उत्तराखंड आपदा के लिहाज से बेहद संवेदनशील है। यहां सड़क हादसों में हर साल हजारों लोगों की जान चली जाती है। मरीजों को हायर सेंटर रेफर करने के दौरान कई लोग रास्ते में ही दम तोड़ देते हैं। एयर एंबुलेंस होगी तो मरीज को सही समय पर अस्पताल पहुंचाया जा सकेगा, जिससे एक्सीडेंट में मृत्यु दर कम करने में मदद मिलेगी।