चमोली: जय मां नंदा देवी..नदी का उफान भी नहीं रोक पाया आस्था की यात्रा
चमोली में इन दिनों नन्दा लोकजात यात्रा चल रही है जिसमें कई श्रद्धालु मां नंदा की डोली लिए अपनी जान को खतरे में डालते हुए उफनती नदियों को पार कर रहे हैं
Aug 20 2020 10:46AM, Writer:Komal Negi
उत्तराखंड में इस साल रिकॉर्ड तोड़ बरसात हो रही है। पहाड़ी जिलों के साथ ही मैदानी जिलों में भी बारिश ने हाल बेहाल कर रखा है। गांव में रहने वाले लोगों के लिए बरसात चुनौती बनकर सामने आई है। जगह-जगह से बरसात की दिल दहला देने वाली तस्वीरें सामने आ रही हैं । बरसात के कारण उत्तराखंड के तमाम नदी अपने उफान पर हैं सभी नदियों का जलस्तर बढ़ा हुआ है। गदेरे अपने उफान पर हैं। नदियों और गदेरों के जलस्तर बढ़ने से उसके आसपास रह रहे लोगों की जान को भी काफी खतरा है। नदी में डूबने से राज्य में कई लोगों की जान चली गई है। देहरादून में बिंदाल और रिस्पना नदी का जलस्तर बेहद बढ़ा हुआ है, जिस कारण मुख्यमंत्री ने देहरादून में नदी किनारे बसे लोगों को दूसरी जगह शिफ्ट करने के निर्देश दिए हैं। चमोली जिले में भी बरसात अपना कहर बरसा रही है।
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चमोली जिले में भारी बारिश हो रही है आने वाले कुछ दिनों तक चमोली जिले में भी मौसम विभाग ने अलर्ट जारी कर दिया है। बारिश के कारण जिले की तमाम नदियां और गदेरे अपने उफान पर हैं। बारिश का कहर आम जनता के साथ-साथ भगवान के ऊपर भी बरस रहा है। जी हां, इस साल धार्मिक यात्राओं के ऊपर बरसात का काफी बुरा प्रभाव देखने को मिला है। हर साल की तरह चमोली जिले में इस साल भी इन दिनों विश्व प्रसिद्ध नन्दा लोकजात यात्रा का आयोजन कराया जा रहा है। सिद्धपीठ कुरड़ से मां नंदा की डोली कैलाश के लिए विदा हुई है। यात्रा में भक्तों द्वारा मां नन्दा की डोली को विभिन्न नदियों, जंगलों को पार कर कैलाश तक पहुंचाया जाता है। मगर लगातार हो रही बारिश ने जिस तरह के हालात चमोली में बना रखे हैं उससे यात्रा के दौरान भक्तों को भारी रिस्क का सामना करना पड़ रहा है। उफान पर आए नदी और गदेरे उनके रास्ते में चुनौती बनकर खड़े हैं। इसके बावजूद भी मां नंदा के भक्त इन सभी चुनौतियों का सामना करके मां नंदा के लोग जात यात्रा में शामिल हो रहे हैं और उफनती नदियों को भी पार कर रहे हैं।
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जी हां, लोगों की मां नंदा में अटूट विश्वास और प्रेम ही है जिसके सामने उफान पर आई नदियां मायने नहीं रखती हैं। चमोली में आपदा के सामने आस्था जीतती हुई दिखाई पड़ रही है। श्रद्धालु मां नंदा की डोली लेकर उफनती नदियां पार कर यात्रा के रहे हैं और अपनी अटूट श्रद्धा का उदाहरण दे रहे हैं। बीते 14 अगस्त को चमोली के विकासखंड घाट स्थित नंदा देवी के मंदिर सिद्धपीठ कुरुड़ से नंदादेवी की डोली कैलाश के लिए विदा हुई थी। दुर्गम और जंगली रास्तों और नदियों को पार कर मां नंदा की डोली 11 दिनों की यात्रा संपन्न कर कैलाश पहुंचती है। वहां पहुंचने के बाद नंदा सप्तमी के दिन यानी कि आने वाले 25 अगस्त को पूजा-अर्चना के बाद लोक जात यात्रा संपन्न मानी जाती है। इस वर्ष भारी वर्षा के कारण श्रद्धालुओं को यात्रा में काफी चुनौतियां मिल रही हैं, मगर मां नंदा की अपार श्रद्धा को मन में रख कर वे डटकर उसका सामना कर रहे हैं। यात्रा के दौरान आई वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि श्रद्धालुओं की जान को कितना खतरा है, मगर फिर भी वे यह यात्रा तय कर रहे हैं। घाट क्षेत्र के कुंडबगड़ गांव के पास एक नदी है, जहां पानी का जलस्तर बेहद बढ़ा हुआ है, लेकिन श्रद्धालु अपनी जान की परवाह किए बगैर मां नंदा की डोली को नदी पार करा रहे हैं।