उत्तराखंड के कर्नल कोठियाल को केंद्र सरकार ने दी बड़ी जिम्मेदारी, इंटरनेशनल प्रोजेक्ट पर कर रहे हैं काम
केदारनाथ धाम को संवारने में अहम भूमिका निभाने वाले नेहरू पर्वतारोहण संस्थान निम के मुखिया रहे कर्नल अजय कोठियाल को भारत सरकार ने एक बड़ी जिम्मेदारी दी है। केंद्र सरकार के निर्देश पर उन्हें म्यांमार भेजा गया है। आगे पढ़िए पूरी रिपोर्ट
Sep 1 2020 8:57PM, Writer:Komal Negi
उत्तराखंड के सैनिकों के शौर्य की कहानियां पूरी दुनिया में मशहूर हैं। यहां के लोगों की देशभक्ति का कोई जवाब नहीं। बात चाहे देश की रक्षा की हो या फिर समाजसेवा की। जब भी देश को जरूरत पड़ी है, यहां के जांबाज सपूत सच्चे हीरो की तरह मदद के लिए हमेशा तैयार मिले हैं। इन्हीं हीरोज में से एक हैं रिटायर्ड कर्नल अजय कोठियाल। इनके बारे में अगर हम लिखना शुरू करें तो शायद शब्द कम पड़ जाएंगे, लेकिन इनकी उपलब्धियां नहीं। कर्नल अजय कोठियाल सेना से रिटायर हो गए हैं, लेकिन उनका मिशन देशसेवा अब भी जारी है। केदारनाथ धाम को संवारने में अहम भूमिका निभाने वाले नेहरू पर्वतारोहण संस्थान निम के मुखिया रहे कर्नल अजय कोठियाल को भारत सरकार ने एक बड़ी जिम्मेदारी दी है। केंद्र सरकार के निर्देश पर कर्नल अजय कोठियाल को म्यांमार भेजा गया है। जहां वो भारत सरकार के महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं।
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हाल ही में कर्नल अजय कोठियाल ने फेसबुक के जरिए उत्तराखंड की जनता और देशवासियों के नाम एक भावनात्मक संदेश भेजा। इस संदेश में उन्होंने म्यांमार में चल रहे प्रोजेक्ट के बारे में बताया। साथ ही ये भी बताया कि किस तरह उत्तराखंड के युवा भारत सरकार के इस महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट को धरातल पर उतारने के लिए जी-जान से जुटे हुए हैं। भारत की एक्ट ईस्ट पॉलिसी के तहत बर्मा में एक अंतरराष्ट्रीय रोड प्रोजेक्ट पर काम चल रहा है, जिसकी कमान रिटायर्ड कर्नल अजय कोठियाल को सौंपी गई है। इस प्रोजेक्ट का नाम है कलादन मल्टीमॉडल ट्रांजिट ट्रांसपोर्ट प्रोजेक्ट यानी केएमएमटीटीपी। बर्मा में जिस इलाके में इस रोड को बनाने का काम चल रहा है वहां म्यांमार आर्मी और अराकान आर्मी के बीच लगभग हर दिन मुठभेड़ और फायरिंग होती है। यहां आपको अराकान आर्मी के बारे में भी जानना चाहिए। बांग्लादेश-म्यांमार सीमा पर सक्रिय अराकाम आर्मी रोहिंग्या विद्रोही समूह है। जबरदस्त तनाव वाले इस क्षेत्र में भारत की मदद से म्यांमार एक रोड बना रहा है। इस अंतरराष्ट्रीय प्रोजेक्ट के पूरा होने से भारत-म्यांमार के रिश्ते मजबूत होंगे। म्यांमार की ताकत बढ़ेगी तो चीन को भी तगड़ा झटका लगेगा। इसलिए सामरिक दृष्टि से भारत के लिए ये प्रोजेक्ट बेहद महत्वपूर्ण है।
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यहां प्रोजेक्ट के काम में जुटे कर्नल अजय कोठियाल के साथ उत्तराखंड के जांबाज युवाओं की टीम भी है। इन युवाओं ने केदारनाथ पुनर्निर्माण में भी अहम योगदान दिया था। कर्नल अजय कोठियाल ने बताया कि इस प्रोजेक्ट में केदरानाथ पुनर्निर्माण से ज्यादा चुनौतियां हैं। खतरनाक जंगल, जानलेवा मलेरिया और जहरीले सांप-बिच्छू का डर हमेशा बना रहता है। उस पर बहुत तेज बारिश और अत्यधिक गर्मी से काम करने में मुश्किलें आती हैं। हर दिन नई चुनौतियां फेस करनी पड़ती हैं। काम के दौरान खतरा बना रहता है और एक बार तो उनका अपहरण भी हो चुका है। इतनी कठिन परिस्थिति में भी उत्तराखंड के युवा मोर्चे पर डटे हुए हैं। इन्हें देखकर उन्हें भी अपने लक्ष्य को पूरा करने की शक्ति मिलती है। कर्नल कोठियाल ने कहा कि वो जल्द ही प्रोजेक्ट को पूरा कर के स्वदेश लौटेंगे। कर्नल अजय कोठियाल को एक जांबाज और दिलेर अफसर माना जाता है। इन्हीं खूबियों की वजह से उन्हें कीर्ति चक्र, शौर्य चक्र और विशिष्ट सेवा मेडल से सम्मानित किया जा चुका है। उनके नेतृत्व में गठित यूथ फाउंडेशन सेना के लिए जांबाज तैयार करने के काम में जुटा है।