पहाड़ के रिटायर्ड का फार्मिंग मॉडल बना मिसाल, रोजगार से अब तक 250 परिवारों को जोड़ा
17 साल तक फौज में रहकर देश की सेवा करने वाले शंकर सिंह भैंसोड़ा आज क्षेत्र में स्वरोजगार की अलख जगा रहे हैं।
Sep 23 2020 10:39AM, Writer:Komal Negi
एक फौजी का मिशन कभी खत्म नहीं होता। रिटायरमेंट के बाद भी सैनिक अपने देश और समाज के लिए हमेशा कुछ बेहतर करने की कोशिश में जुटे रहते हैं। इस बात को पहाड़ के रिटायर्ड फौजी शंकर सिंह भैंसोड़ा से बेहतर भला कौन समझ सकता है। सालों तक फौज में रहकर देश की सेवा करने वाले शंकर सिंह भैंसोड़ा आज क्षेत्र में स्वरोजगार की अलख जगा रहे हैं। उनके द्वारा तैयार इंटीग्रेटेड फार्मिंग मॉडल पूरे क्षेत्र में चर्चा का विषय बना हुआ है। खेती और स्वरोजगार के जरिए शंकर सिंह ने ना सिर्फ अपनी तकदीर बदली, बल्कि अपने साथ क्षेत्र के 250 परिवारों को भी रोजगार से जोड़ा। सीमांत जिले पिथौरागढ़ के थल क्षेत्र में एक गांव है बलतिर। 60 साल के शंकर सिंह भैंसोड़ा इसी गांव में रहते हैं। उनका दिन सुबह 4 बजे शुरू होता है।
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खेतों में लगन से काम करते शंकर सिंह के सामने युवाओं का जोश भी फीका नजर आता है। शंकर सिंह ने एक हजार नाली क्षेत्र में इंटीग्रेटेड फार्मिंग का मॉडल तैयार किया है। ये जमीन पिछले 50 साल से बंजर पड़ी थी। रिटायरमेंट के बाद जब शंकर गांव लौटे तो उन्होंने इस जमीन पर शानदार बगीचा तैयार किया। यहां वो फल-फूल और सब्जी उत्पादन के साथ पशुपालन और मछली पालन का काम भी कर रहे हैं। उनके इस इंटीग्रेटेड फार्मिंग मॉडल को देखने के लिए लोग दूर-दूर से बलतिर गांव पहुंचते हैं। लोग उनसे खेती के टिप्स भी लेकर जाते हैं। शंकर सिंह ने 17 साल तक असम राइफल्स में सेवा दी। जीवन में सब ठीक चल रहा था, लेकिन गांव में बंजर पड़ी जमीन उन्हें हमेशा सालती थी।
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रिटायरमेंट के बाद जब वो घर लौटे तो उन्होंने इस बंजर जमीन को हरा-भरा बनाने की ठानी। यहां उन्होंने 4 हजार फलदार पौधे रोपे। साथ ही सब्जी उत्पादन का काम भी शुरू किया। उन्होंने बगीचे के पास में ही मछली पालन के लिए एक तालाब भी बनवाया है। शंकर सिंह पशुपालन भी कर रहे हैं। जैसे-जैसे उनका काम बढ़ता गया, उन्होंने आस-पास के लोगों को रोजगार देना शुरू कर दिया। आज गांव के 250 से ज्यादा परिवार उनके साथ जुड़े हैं। शंकर सिंह फूलों की खेती भी करते हैं। उनके खेतों में उगे फूलों की डिमांड देश के कई बड़े महानगरों में है। पूर्व सैनिक शंकर सिंह भैंसोड़ा खेती और पशुपालन से हर साल 4 से पांच लाख रुपये तक की आमदनी हासिल कर रहे हैं। उन्हें देखकर क्षेत्र के दूसरे लोग भी स्वरोजगार के लिए प्रेरित हो रहे हैं।