उत्तराखंड में धार्मिक आयोजनों की मंजूरी के साथ लोगों को कई राहतें.. पढ़िए नई गाइडलाइन
उत्तराखंड में अक्तूबर से दिसंबर यानी कि फेस्टिवल सीजन के दौरान होने वाले धार्मिक एवं अन्य आयोजनों को प्रदेश सरकार ने मंजूरी दे दी है। पढ़िए एसओपी के मुख्य बिंदु
Oct 10 2020 12:51PM, Writer:Komal Negi
उत्तराखंड में अनलॉक-5 की प्रक्रिया जोरों-शोरों से चल रही है और इसी के तहत लगभग सभी सेवाओं को राज्य में बहाल कर दिया गया है। वहीं धार्मिक एवं सामाजिक कार्यक्रमों के संचालन के ऊपर भी प्रशासन ने हरी झंडी दे दी है। इसी के साथ फेस्टिवल सीजन भी आने वाला है, जिसके लिए प्रशासन ने बड़े स्तर पर त्योहारों के आयोजनों को मंजूरी दे दी है। उत्तराखंड में अक्तूबर से दिसंबर तक के रामलीला, नवरात्री, दुर्गापूजा, दशहरा, ईद, क्रिसमस आदि के आयोजनों को प्रदेश सरकार ने मंजूरी दे दी है। बीते शुक्रवार को शासन ने इसकी लिए बाकायदा एसओपी जारी कर दी। आयोजन में शामिल होने वाले लोगों की सीमा 200 निर्धारित की गई है। जहां पर कार्यक्रम होगा, वहां आयोजकों को सामाजिक दूरी बनाए रखने के लिए दो गज में मार्किंग करनी होगी और इसी के साथ पहले से ही थर्मल स्क्रीनिंग, सेनेटाइजर की व्यवस्था करनी होगी। एसओपी में भीड़ प्रबंधन पर जोर दिया गया है।कंटेनमेंट जोन में आयोजन नहीं होंगे और वहां सख्ती जारी रहेगी। चलिए आपको सरकार द्वारा जारी की गई एसओपी के मुख्य बिंदुओं से अवगत कराते हैं।
सबसे पहले तो कंटेनमेंट जोन के अंदर किसी भी प्रकार का कार्यक्रम संचालन करने की अनुमति एसओपी में नहीं मिली है। अर्थात कंटेनमेंट जोन के अंदर रहने वाले लोगों को किसी भी धार्मिक कार्यक्रम में भाग लेने का अवसर नहीं मिलेगा।
गंभीर बीमारी से ग्रसित, 65 साल से अधिक उम्र के व्यक्ति, 10 साल से कम उम्र के बच्चे और गर्भवती महिलाओं को घर में ही रहने की सलाह दी है।
वहीं प्रशासन एवं इवेंट मैनेजमेंट की टीम को अधिक भीड़ वाले पर्व और त्यौहार का संचालन कराते समय सामाजिक दूरी के नियमों का ध्यान रखना होगा और भीड़ प्रबंध भी करना होगा।
अधिक दिन तक चलने वाले कार्यक्रम जैसे रामलीला, पूजा अनुष्ठान, मेले, प्रदर्शनियों आदि में सीमित प्रवेश के ऊपर विचार किया जा सकता है। इसमें भी सामाजिक दूरी के नियम का पालन करना होगा।
किसी भी मूर्ति या किताब को छूने की अनुमति नहीं है।
लंबी रैलियों के लिए एंबुलेंस की व्यवस्था कराना अनिवार्य होगा।
सामाजिक दूरी, मास्क आदि के नियम का पालन कराने के लिए कैमरों से निगरानी के ऊपर पर भी विचार किया जा रहा है।
थर्मल स्कैनिंग, सेनिटाइजेशन आदि नियमों का पालन कराने के लिए जगह-जगह वॉलंटियर्स तैनात किए जाएंगे।
रैलियों, धार्मिक जुलूसों के लिए पहले से ही रूट प्लान निर्धारित किया जाएगा और उसमें शामिल होने वाले लोगों की संख्या भी तय की जाएगी
सामाजिक दूरी का पालन करने के लिए मार्किंग की जाएगी। आयोजन स्थल पर 200 लोगों के लिए सामाजिक दूरी मिलाकर पर्याप्त जगह होना अनिवार्य है।
रामलीला, दुर्गा पूजा, दशहरा सहित अन्य आयोजनों के लिए कोरोना को देखते हुए पहले से ही तैयारी करनी होगी। क्योंकि यह बड़े स्तर पर होने वाले कार्यक्रम हैं, इसके लिए एक विस्तृत योजना बनाना बहुत जरूरी है और भीड़ का प्रबंधन करना भी अनिवार्य है।
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आइये अब जानते हैं कि आयोजन कराते समय आयोजनकर्ताओं की क्या जिम्मेदारी होगी
1- आयोजकों को पर्याप्त संख्या में टिकट काउंटर की व्यवस्था करानी होगी जिससे कि एक टिकट काउंटर पर ज्यादा भीड़ ना जुटे और जहां तक संभव हो सके कांटेक्ट लेस भुगतान यानी कि ऑनलाइन भुगतान किया जाएगा।
2- बार-बार सैनिटाइजेशन के साथ सामाजिक दूरी बनाने के लिए एवं मास्क आदि की व्यवस्था भी आयोजकों को करनी होगी।
3- आयोजकों को यह भी देखना होगा कि उनके आयोजन के अंदर जो भी लोग आ रहे हैं, उन्होंने मास्क पहना है कि नहीं। बिना मास्क पहने लोगों को एंट्री नहीं दी जाएगी।
4- धार्मिक स्थल में प्रवेश करने से पहले हर परिवार के जूते एवं चप्पलों का स्थान निर्धारित होगा। लोग जूते-चप्पल अपने वाहनों में भी उतार सकते हैं।
5- सामाजिक दूरी या 2 गज दूरी का पालन करते हुए एक सिटिंग प्लान निर्धारित किया जाएगा जिसका पालन करना पूरी तरह से अनिवार्य होगा।
6-धार्मिक स्थलों में कोई भी मूर्ति, पवित्र किताब आदि को छूने के मना ही रहेगी।
7-अगर कोई आयोजन किसी हॉल के अंदर हो रहा है तो वहां पर एयर कंडीशनर का तापमान 24 से 30 डिग्री होगा।
8- वहीं सामुदायिक भोज या लंगर में भी सामाजिक दूरी का पालन करना खास रूप से अनिवार्य होगा। खाना बनाते समय भी संक्रमण के प्रति सावधानी का पालन करना होगा।
9-अगर किसी व्यक्ति को जांच में कोरोना के संक्रमण दिखते हैं तो आयोजन स्थल पर ऐसा कमरा या स्थल चिन्हित किया जाएगा जहां पर व्यक्ति को एकांतवास में रखा जा सके।