उत्तराखंड: एकजुट हुए 2 जिलों के लोग..खुद बनाने लगे दोनों जिलों को जोड़ने वाला पैदल पुल
कुछ साल पहले तक रामगंगा नदी पर लोहे का पैदल पुल हुआ करता था, लेकिन साल 2018 में अगस्त की एक रात अचानक बादल फटने से उफनाई नदी पुल को अपने साथ बहा ले गई। आगे पढ़िए पूरी खबर
Nov 2 2020 11:29PM, Writer:Komal Negi
उत्तराखंड का सीमांत जिला पिथौरागढ़। यहां गांव वाले दो जिलों को जोड़ने के लिए अस्थाई पुल बना रहे हैं। जो काम सरकार को करना चाहिए था, वो काम ग्रामीण कर रहे हैं। वो भी पिछले तीन साल से। हर साल ग्रामीण शीतकाल के दौरान अस्थाई पुल का निर्माण करते हैं। इस बार भी जोर-शोर से पुल निर्माण का काम शुरू हो गया है। इस अस्थाई पुल के बनने से बागेश्वर जिले के छह गांवों को अपने बाजार नाचनी आने-जाने में सहूलियत मिलेगी। मई तक ग्रामीणों को एक जगह से दूसरी जगह जाने के लिए कई किलोमीटर का पैदल सफर नहीं करना पड़ेगा। पिथौरागढ़-बागेश्वर जिले को जोड़ने वाला ये पुल रामगंगा नदी के ऊपर बनाया जा रहा है। ऐसा करने की जरूरत क्यों आन पड़ी, ये भी बताते हैं। आगे पढ़िए
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कुछ साल पहले तक पिथौरागढ़ और बागेश्वर जिले के बीच रामगंगा नदी पर एक पुल हुआ करता था। इस पैदल पुल के जरिए लोग एक जिले से दूसरे जिले तक आया-जाया करते थे, लेकिन 11 अगस्त 2018 को आई आपदा में पुल बह गया। साल 2018 में अगस्त की एक रात अचानक बादल फटने से उफनाई नदी पक्के लोहे के पैदल पुल को अपने साथ बहा ले गई। पुल के बह जाने के बाद गांववालों की परेशानी का जो सिलसिला शुरू हुआ, वो आज भी जारी है। साल 2018 से अब तक यहां पक्का पुल नहीं बन सका है। कहने को प्रशासन ने नदी के ऊपर आवाजाही के लिए एक ट्रॉली लगाई है, लेकिन इससे आवाजाही करना भी मुश्किल भरा है। भारी ट्रॉली को रस्सी से खींचने के लिए दूसरों की मदद चाहिए।
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इन दिक्कतों से बचने के लिए पिछले तीन साल से ग्रामीण हर शीतकाल में यहां अस्थाई पुल बनाते हैं। इसके बनने से बागेश्वर के छह गांवों को राहत मिलेगी। इन गांवों का मुख्य बाजार पिथौरागढ़ है। यहां के सौ से ज्यादा बच्चे भी पढ़ने के लिए नाचनी आते हैं। पुल नहीं होने से इसके लिए ग्रामीणों को छह से 10 किमी पैदल चलना पड़ता है। जून से अक्टूबर तक नदी उफनाई रहती है, इसलिए ग्रामीण लंबा फेरा लगाकर ही आवाजाही करते हैं। नवंबर में जैसे ही जलस्तर कम होता है, दोनों जिलों के ग्रामीण श्रमदान कर के अस्थाई पैदल पुल बनाने में जुट जाते हैं। रविवार से यहां पुल निर्माण का काम शुरू हो चुका है। पुल को लकड़ी के मजबूत लट्ठों और पटरे से बनाया जाएगा। साठ मीटर लंबे पुल को बनाने में दस से 15 दिन लगेंगे। ग्रामीणों ने कहा कि पिछले ढाई साल से वो शिकायत कर-कर के थक गए, लेकिन सरकार ने नहीं सुनी। ऐसे में उनके पास श्रमदान से पुल निर्माण ही आखिरी विकल्प है। पुल बन जाने से दोनों जिलों के लोगों को बड़ी राहत मिलेगी।