उत्तराखंड: शादी के अगले दिन दुल्हन के पिता का निधन..मेहंदी लगे हाथों से बेटी ने अर्थी को दिया कंधा
बेटी को ससुराल के लिए विदा करते ही भूपेंद्र कुमार टम्टा की तबीयत बिगड़ गई। परिजन उन्हें तुरंत अस्पताल ले गए, लेकिन वो बच नहीं सके।
Nov 25 2020 9:59PM, Writer:Komal Negi
शादी। ऐसा मौका, जो हर इंसान की जिंदगी में एक ही बार आता है। हर मन शादी और भावी वैवाहिक जीवन के सुखद सपने संजोता है। अल्मोड़ा की रहने वाली दिव्या की जिंदगी में भी वो खूबसूरत दिन आया। वो दुल्हन के रूप में सजकर अपने ससुराल के लिए विदा हुई, लेकिन जैसे ही दिव्या की जिंदगी में एक नया रिश्ता जुड़ा, उसी वक्त दिव्या के सिर से पिता का साया हमेशा-हमेशा के लिए उठ गया। बेटी की डोली को विदा करते ही दिव्या के पिता ने भी दुनिया को अलविदा कह दिया। पिता की मौत की खबर सुनते ही रोती-बिलखती दिव्या तुरंत मायके पहुंची और मेहंदी लगे हाथों से पिता की अर्थी को कंधा देकर उन्हें अंतिम विदाई दी। दिल को झकझोर देने वाली ये दुखद घटना अल्मोड़ा जिले के टम्टा मोहल्ले की है। जहां 64 साल के भूपेंद्र कुमार टम्टा अपने परिवार के साथ रहते थे। 18 नवंबर को उनकी लाडली बेटी दिव्या की शादी थी। भूपेंद्र ने धूमधाम से बेटी का ब्याह कर उसे ससुराल के लिए विदा किया। आगे पढ़िए
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बेटी के ससुराल पहुंचने के दूसरे ही दिन भूपेंद्र की अचानक तबीयत बिगड़ गई। उन्हें उपचार के लिए जिला अस्पताल ले जाया गया, लेकिन भूपेंद्र बच नहीं सके। अस्पताल पहुंचने पर डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। भूपेंद्र की मौत की खबर मिलते ही शादी वाले घर में मातम पसर गया। पिता की मौत की खबर सुनते ही दिव्या भी ससुराल से तुरंत वापस लौटी और रोते-रोते पिता की अर्थी को कंधा देकर उन्हें विदा किया। भूपेंद्र कुमार के निधन से क्षेत्र में शोक का माहौल है। स्थानीय लोगों ने बताया कि भूपेंद्र कुमार उच्च शिक्षित होने के बाद भी अपने पुश्तैनी तांबे के बर्तन बनाने के कार्य से जुड़े हुए थे। वो घर पर ही तांबे की गागर, कलश और दूसरे बर्तन बनाते थे। ताम्र उद्योग को पहचान दिलाने के लिए उन्होंने काफी संघर्ष किया। उनकी बड़ी बेटी दिप्ति विवाहित है, जबकि एक बेटा विशाल अविवाहित है। उनके निधन पर क्षेत्रीय स्वयंसेवी संगठनों ने शोक जताया। उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की।