चमोली आपदा: सैलाब से भी नहीं टूटा गुरूजी का हौसला..सिर्फ 1 छात्र को पढ़ाने स्कूल पहुंचे
आपदा के तकरीबन 1 हफ्ते बीत जाने के बाद रैणी गांव के सरकारी हाई स्कूल में गांव का नौंवी कक्षा का विद्यार्थी देवेंद्र बैठकर पढ़ाई कर रहा है। स्टोरी एवं फोटो साभार- लाइव हिन्दुस्तान
Feb 17 2021 1:20PM, Writer:Komal
पढ़ने की ललक हो तो कठिन से कठिन परिस्थितियां भी बाधा नहीं बनती हैं। भले ही कितने भी मुश्किलें क्यों ना आएं, जिसके अंदर पढ़ाई की लगन होती है और लालसा होती है वह छात्र हमेशा कोई ना कोई रास्ता ढूंढ ही लेता है। अब चमोली में ही देख लीजिए। चमोली के तपोवन में इस समय आपदा के बाद का दिल दहला देने वाला मंजर देखने को मिल रहा है और अब भी रेस्क्यू ऑपरेशन चल रहा है। तपोवन के आपदा प्रभावित रैणी गांव को भी भारी नुकसान हुआ है। इस आपदा में रैणी गांव सबसे अधिक प्रभावित हुआ है मगर आपदा के तकरीबन 1 हफ्ते बीत जाने के बाद आज रैणी गांव के सरकारी हाई स्कूल में गांव का एक नन्हा सा बच्चा बैठकर पढ़ाई कर रहा है। हम बात कर रहे हैं देवेंद्र की। बता दें कि देवेंद्र आपदा आने के हफ्ते भर बाद एक बार फिर से स्कूल में लगन से पढ़ाई कर रहा है और उसने यह साबित किया है कि अगर पढ़ाई की लालसा मन में हो तो भले ही कितने भी मुसीबतें क्यों ना आएं, वह किसी छात्र को पढ़ाई करने से नहीं रोक सकतीं।
आपदा के कुल 7 दिनों के बाद एक बार फिर से रैणी गांव का हाई स्कूल खुल चुका है। हेड मास्टर केएस चौहान समेत सभी शिक्षक और स्टाफ भी स्कूल समय पर आ गए हैं। किसी को भी यह उम्मीद नहीं थी कि कोई छात्र आएगा लेकिन प्रार्थना के वक्त नवीं कक्षा के छात्र देवेंद्र को देखकर सबके चेहरे खिल उठे। देवेंद्र का कहना है कि उसका दोस्त मयंक अब भी पुल के उस पार फंसा हुआ है और उसको अपने दोस्त की चिंता सताई जा रही है। मयंक का घर नदी के दूसरी तरफ है। इस बाढ़ में नदी की वजह से काफी कटाव हुआ है जिसके बाद वहां से बच्चे स्कूल नहीं आ पा रहे हैं। स्कूल में मौजूद स्टाफ और शिक्षकों को यह उम्मीद नहीं थी कि कोई भी छात्र स्कूल आएगा लेकिन नवीं कक्षा के छात्र देवेंद्र का हौसला और जज्बा देखकर सभी अध्यापकों ने उसकी जम के तारीफ की। स्कूल के शिक्षक राजेंद्र परमार ने बताया कि स्कूल में फिलहाल 11 छात्र हैं। 5 से अधिक छात्र नदी के दूसरी तरफ से गांव से आते हैं और पुल ना होने से और बाढ़ का खतरा होने के कारण परिजन उनको भेजने से हिचक रहे हैं। लेकिन यह पूरा प्रयास किया जा रहा है कि उन बच्चों को फोन के और व्हाट्सएप के जरिए पढ़ाई में सहायता की जाती रहे ताकि उनको पढ़ाई में कोई भी दिक्कत ना आए।
स्कूल में आने वाला अकेला विद्यार्थी देवेंद्र नौवीं कक्षा का छात्र है। देवेंद्र ने बताया कि आपदा से 1 दिन पहले वह अपने माता के साथ जोशीमठ आ गया था। उसके पिता भी यहीं काम करते हैं लेकिन वह भी आपदा आने से 1 दिन पहले कालेश्वर में चले गए थे और अगले ही दिन उनको पता लगा कि आपदा आई है तो उनको विश्वास ही नहीं हुआ। जिसके बाद टीवी और हर जगह से तपोवन की भयावह तस्वीर आने लगीं जिसके बाद उनके परिवार वालों ने भगवान को धन्यवाद व्यक्त किया। देवेंद्र ने बताया कि उनके गांव में अभी लोगों के अंदर भय का माहौल पसरा हुआ है। नदी का जलस्तर बढ़ने के डर से लोग ऊंचाई वाले क्षेत्रों की ओर जा रहे हैं। देवेंद्र का कहना है कि उसका दोस्त मयंक अब भी दूसरी ओर फंसा हुआ है और वह भगवान से यही प्रार्थना कर रहा है कि मयंक अपने परिवार के साथ सुरक्षित हो।