चमोली आपदा: खत्म हुआ रामकृष्ण का हंसता-खेलता परिवार..सैलाब में बही पत्नी और बेटी
बुजुर्ग रामकृष्ण अपना दर्द बयां करते-करते रो पड़ते हैं। वो कहते हैं कि हर समय बेटी और पत्नी का चेहरा सामने आ जाता है, काश वो दोनों लौटकर आ जाते।
Feb 20 2021 9:12AM, Writer:Komal Negi
चमोली में आया आपदा का सैलाब अपने पीछे कई दर्दभरी कहानियां छोड़ गया। प्रकृति का रौद्ररूप देखकर हर कोई सहमा हुआ है। इस आपदा में किसी ने अपना बेटा खो दिया तो किसी ने अपना पति। कई परिवारों के इकलौते कमाऊ सदस्य आपदा के सैलाब में बह गए। चमोली के तपोवन क्षेत्र में रहने वाले रामकृष्ण सेमवाल ने भी आपदा में अपनी पत्नी और बेटी को खो दिया। आपदा के 12 दिन बाद भी इन लोगों का कुछ पता नहीं चला। बुजुर्ग रामकृष्ण अपना दर्द बयां करते-करते रो पड़ते हैं। उनका रो-रोकर बुरा हाल है। रामकृष्ण कहते हैं कि हर समय बेटी और पत्नी का चेहरा सामने आ जाता है। बुजुर्ग रामकृष्ण दूध बेचकर घर का भरण-पोषण करते हैं। 7 फरवरी को आई आपदा ने जिन लोगों के परिवार उजाड़े, दुर्भाग्य से रामकृष्ण भी उनमें से एक हैं।
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उनके घर में भी दुखों का सैलाब उमड़ा हुआ है। तपोवन क्षेत्र में रहने वाले रामकृष्ण 55 साल के हैं। घटना वाले दिन उनकी 21 वर्षीय बेटी अंजना और पत्नी सरोजनी देवी घास काटने के लिए धौली नदी के किनारे गई हुई थी। तभी अचानक ऋषिगंगा में बाढ़ आई और दोनों को अपने साथ बहा ले गई। अंजना ने इंटर पास कर बीए में एडमिशन लिया था। रामकृष्ण बताते हैं कि वो बेटी की शादी करने पर विचार कर रहे थे, लेकिन सारे सपने सैलाब की भेंट चढ़ गए। अब जीवन में कुछ नहीं रहा। रामकृष्ण की एक बेटी संजना 10वीं में और बेटा शिवम नवीं कक्षा में पढ़ता है। परिवार में आर्थिकी का कोई दूसरा साधन नहीं है। रामकृष्ण कहते हैं कि पत्नी और बेटी के जाने के बाद उनके लिए दूसरे बच्चों की परवरिश के संग गाय-भैंस पालना आसान नहीं होगा। आपदा ने उनसे सबकुछ छीन लिया। आपको बता दें कि चमोली में आई आपदा में लापता 204 लोगों में 62 के शव मिल चुके हैं, जबकि 142 लोग अब भी लापता हैं।