गढ़वाल: मां-पिता के लिए पक्का घर बनवाना चाहते थे मनदीप, सपना पूरा होने से पहले हुए शहीद
राइफलमैन मनदीप अब हमारे बीच नहीं रहे, लेकिन उनके बूढ़े माता-पिता अब भी इस सच को स्वीकार नहीं कर पा रहे। नियति के क्रूर पंजे ने उनकी बुढ़ापे की लाठी तोड़ दी। भगवान ऐसा दुख किसी मां-बाप को न दे।
Jun 30 2021 7:26PM, Writer:Komal Negi
देश के जांबाज सपूत मनदीप सिंह नेगी की अब सिर्फ यादें ही शेष रह गई हैं। छोटी सी जिंदगी में मनदीप देश की सेवा करते हुए अपना सर्वोच्च बलिदान दे गए। मनदीप अब हमारे बीच नहीं रहे, लेकिन उनके बूढ़े माता-पिता अब भी इस सच को स्वीकार नहीं कर पा रहे हैं। नियति के क्रूर पंजे ने उनकी बुढ़ापे की लाठी तोड़ दी। जिस बेटे को उन्होंने अपने हाथों से पाल-पोसकर सरहद की रक्षा के लिए भेजा था, सोचिए जब उसकी निर्जीव देह सामने रही होगी तो मां पर क्या गुजरी होगी। पिता का दिल कितना तड़पा होगा। मनदीप सिंह नेगी पौड़ी गढ़वाल के सकनोली गांव के रहने वाले थे। परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर थी। साल 2018 में मनदीप गढ़वाल राइफल्स की 11वीं बटालियन में भर्ती हो गए। हर बेटे की तरह उनकी आंखों में भी माता-पिता के लिए बड़ा घर बनाने का सपना था। जब भी फोन पर बात होती तो वो माता-पिता से गांव में अच्छा घर बनाने की बात कहते थे।
यह भी पढ़ें - गढ़वाल में ऐसे DM भी है..रात में लालटेन के सहारे पंहुचे गांव, लापरवाह अफसरों को हड़काया
शहीद मनदीप के पिता गांव में मजदूरी करते थे। मनदीप जब सेना में भर्ती होकर पहली बार घर लौटे तो उन्होंने पिता को मजदूरी करने से सख्त मना कर दिया। मां हेमंती बताती हैं कि मनदीप की सगाई हो चुकी थी। घर पर शादी की तैयारियां चल रही थीं, लेकिन गुरुवार को उसके जाने की मनहूस खबर आ गई। रविवार को जिस वक्त घर के आंगन में बेटे का पार्थिव शरीर रखा था, पिता घर के भीतर रोते-रोते नियति को कोस रहे थे। उनसे देहरी तक ना लांघी गई। आपको बता दे कि गढ़वाल के जांबाज सपूत राइफलमैन मनदीप सिंह इन दिनों जम्मू-कश्मीर के गुलमर्ग क्षेत्र में सौंजियान पोस्ट पर तैनात थे। गुरुवार शाम वो ड्यूटी के दौरान शहीद हो गए। मनदीप अपने माता-पिता की इकलौती संतान थे।