गढ़वाल: मंजू के हौसले को सलाह, परिवार का पेट पालने के लिए चला रही हैं टैक्सी
पिता की मौत बाद जब पूरे परिवार की जिम्मेदारी मंजू के कंधों पर आई तो उन्होंने टैक्सी का स्टेयरिंग थाम लिया। रास्ते में कई चुनौतियां मिलीं, लेकिन मंजू आगे बढ़ती रहीं।
Oct 9 2021 12:31PM, Writer:Komal Negi
सफलता हासिल करने की चाह हो तो हमें हर कदम का महत्व समझना होगा। अब नई टिहरी की रहने वाली मंजू भंडारी को ही देख लें। पिता की मौत बाद जब पूरे परिवार की जिम्मेदारी मंजू के कंधों पर आई तो उन्होंने टैक्सी का स्टेयरिंग थाम लिया। आज वह पहाड़ के चुनौतीभरे रास्तों पर टैक्सी चलाकर परिवार को संभाल रही हैं, महिला सशक्तिकरण की नई कहानी लिख रही हैं। 42 साल की मंजू भंडारी भिलंगना ब्लाक स्थित जाख गांव की रहने वाली हैं। मंजू ने महज 18 साल की उम्र में पिता गंगा सिंह भंडारी को खो दिया था। इसके बाद तीन बहनों और एक भाई के साथ मां लक्ष्मी देवी की जिम्मेदारी भी मंजू के कंधों पर आ पड़ी। राह कठिन थी, लेकिन मंजू ने अपनी हिम्मत बनाए रखी। वो पिता की दुकान संभालने लगीं, खेती के काम में मां का हाथ बंटाया। गांव में मजदूरी भी की।
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साल 2014 में मंजू ने एक अल्टो वाहन खरीदा। इसके बाद मंजू ने टैक्सी चलानी सीखी और जाख से घनसाली के बीच 22 किमी के क्षेत्र में यात्रियों को लाने ले जाने लगीं। इससे फायदा नहीं हुआ तो मंजू ने घनसाली से नई टिहरी, देहरादून, ऋषिकेश व श्रीनगर तक के यात्रियों को मंजिल तक पहुंचाना शुरू कर दिया। आमदनी बढ़ने पर उन्होंने छोटे भाई के लिए भी वाहन खरीद दिया। अब मंजू और उनका भाई सोहन वाहन चलाकर अपने परिवार की गुजर-बसर कर रहे हैं। मंजू बताती हैं कि वो अपनी तीनों बहनों और भाई की शादी कर चुकी हैं। हालांकि, परिवार की खुशी के लिए मंजू अब भी अकेली हैं, उन्होंने शादी नहीं की। मंजू का काम भले ही आसान लगता हो, लेकिन इसे जारी रखने के लिए उन्हें समाज के तानों के साथ-साथ बहुत कुछ सहना पड़ा। आज वो अपनी जीवटता से पहाड़ की दूसरी बेटियों के लिए सशक्तिकरण की मिसाल बन गई हैं।