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Uttarakhand News: नियुक्ति पत्र मिलने के बाद भी 412 शिक्षकों ने नहीं किया ज्वॉइन, ये है अंतिम तिथि

एक तरफ जहाँ युवा सरकारी नौकरी के लिए दिन-रात एक कर रहा हैं वहीं दूसरी तरफ कुछ युवाओं को नियुक्ति पत्र मिलने के बाद भी वे ज्वाइन नहीं कर रहे हैं।
Sep 19 2024 11:10AM, Writer:राज्य समीक्षा डेस्क

412 नवनियुक्त सहायक अध्यापकों ने अब तक कार्यभार ग्रहण नहीं किया। 23 तारीख के बाद उन्हें ज्वॉइनिंग का मौका नहीं मिलेगा। नियुक्ति पत्र मिलने के बावजूद अभ्यर्थियों द्वारा कार्यभार नहीं संभालने की स्थिति बनी हुई है।

412 Assistant Teachers Did Not Join Till Now in Uttarakhand

उत्तराखंड में शिक्षक भर्ती के तहत 412 अभ्यर्थी नियुक्ति पत्र मिलने के बावजूद अब तक कार्यभार ग्रहण नहीं कर रहे हैं। यदि ये नवनियुक्त सहायक अध्यापक 23 सितंबर तक कार्यभार नहीं संभालते तो उन्हें फिर से मौका नहीं मिलेगा। वर्तमान में शिक्षा विभाग 2906 पदों पर शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया चला रहा है, जिसमें पहली और दूसरी काउंसलिंग के बाद 1090 अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र दिए जा चुके हैं। प्रभारी शिक्षा निदेशक आरएल आर्य के अनुसार 18 अगस्त को हुई दूसरी काउंसलिंग के बाद अब तक 678 नवनियुक्त शिक्षकों ने ही कार्यभार संभाला है। इस देरी की एक प्रमुख वजह यह है कि कई अभ्यर्थी तीसरी काउंसलिंग का इंतजार कर रहे हैं, जिससे उन्हें मनचाहे जिले या स्थान पर नियुक्ति मिल सके।

23 सितंबर के बाद नहीं कर पाएंगे ज्वॉइन

विभागीय अधिकारियों के अनुसार कुछ अभ्यर्थियों ने एक साथ 10 जिलों में आवेदन किया है और इसलिए वे अब निर्णय लेने में देरी कर रहे हैं। शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने स्पष्ट किया है कि शिक्षक भर्ती के तहत जिन अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र दिए जा चुके हैं, खासकर दूसरी काउंसलिंग से चयनित अभ्यर्थियों को 23 सितंबर तक का समय ही दिया गया है। इसके बाद उन्हें कार्यभार ग्रहण करने के लिए एक भी अतिरिक्त दिन नहीं मिलेगा। मंत्री ने यह भी कहा कि इन अभ्यर्थियों के कार्यभार संभालने के बाद ही तीसरे चरण की काउंसलिंग की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।

उत्तराखडं के बाहर से डीएलएड भी एक वजह

प्रदेश के सरकारी प्राथमिक विद्यालयों में सहायक अध्यापक पदों पर भर्ती में कई अभ्यर्थियों ने प्रदेश के बाहर से डीएलएड (डिप्लोमा इन एलीमेंट्री एजुकेशन) किया है, जो एक बड़ी वजह बन रही है। विभागीय अधिकारियों के अनुसार, ऐसे सभी अभ्यर्थियों से नियुक्ति पत्र देने से पहले शपथ पत्र लिया जा रहा है। इसके बाद उनके प्रमाण पत्रों की सत्यापन प्रक्रिया की जानी है। यह भी संभव है कि कुछ अभ्यर्थियों के कार्यभार ग्रहण न करने के पीछे यही कारण हो।


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