image: Indian and us army in uttarakhand

देवभूमि में गरजी भारत और अमेरिकी सेना, पहाड़ में चीन की घुसपैठ का जवाब है युद्धाभ्यास

एक तरफ उत्तराखंड से बार बार ऐसी खबरें आ रही हैं कि चीन पहाड़ में घुसपैठ कर रहा है। दूसरी तरफ उत्तराखंड में भारतीय सेना और अमेरिकी सेना युद्धाभ्यास में जुट गई है।
Sep 18 2018 5:55PM, Writer:रश्मि पुनेठा

आतंकवाद के खिलाफ एक जुट दुनिया के दो बड़े लोकतांत्रिक देश भारत और अमेरिका एक बार साथ नजर आ रहे है। राजनीतिक मंच पर नहीं, बल्कि दोनों देशों के सैनिक एक साथ नजर आ रहे है। दरअसल इन दिनों देवभूमि उत्तराखंड की ऊंची नीची पहाडियों में भारत और अमेरिकी सैनिक सैन्य युद्ध का अभ्यास कर रही है। ये 14वें संयुक्त सैन्य युद्ध अभ्यास रानीखेत के पास चौबटिया में जारी है। ये ट्रेनिंग जरूरी है क्योंकि हाल ही में उत्तराखंड में चीन की घुसपैठ की खबरें भी निकलकर सामने आई हैं। पिथौरागढ़ और चमोली...ये दो जिले ऐसे हैं, जहां चीन की दखलअंदाजी देखने को मिल रही है। ऐसे में हर परिस्थिति के लिए तैयार रहना बेहद जरूरी है। घुसपैठियों को भारतीय सेना की ताकत और हुंकार का दम दिखाना भी जरूरी है। गढ़वाल राइफल की एक टुकड़ी भी इस सैन्य अभ्यास में अमेरिकी सैनिकों के साथ दम भर रही है।

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उत्तराखंड के चौबटिया के गरुड़ मैदान में दोनों देशों के जांबाजों ने अपने अभ्यास की शुरुआत करने से पहले अपने-अपने देश के राष्ट्रीय ध्वज के साथ फ्लैग मार्चपास्ट किया। इस दौरान गरुड़ डिवीजन के मैत्री द्वार से भारत अमेरिका के सैन्य कमांडरों ने आतंकवाद के खात्मे का संदेश देते हुए कहा कि इस कार्रवाई के बाद ही विश्व शांति कायम हो सकेगी। इसके साथ ही उन्होंने इस युद्धाभ्यास को अब तक का सबसे महत्वपूर्ण प्रक्रिया करार दिया। भारतीय सेना के जनरल ऑफिसर कमांडिंग मेजर जनरल (सेना मेडल) कविंद्र सिंह ने मेहमानों का गर्मजोशी से किया और कहा कि दो हफ्ते के युद्धाभ्यास के बाद अमेरिकी औऱ भारतीय फौज नई सोच, नई तकनीक और नई ऊर्जा से सराबोर होगी। उन्होंने कहा कि साल 2004 में 40-45 जवानों से शुरू संयुक्त सैन्य युद्ध अभ्यास अब डिवीजन स्तर पर बड़ा आकार ले चुका है। इस युद्धाभ्यास की कुछ और भी खास बातें जानिए।

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मार्चपास्ट की सलामी लेने के बाद मुख्य अतिथि अमेरिकी बटालियन कमांडर विलियम ग्राहम ने कहा कि संयुक्त युद्धाभ्यास दोनों देशों के सैनिकों के लिए सबसे कारगर साबित होगा क्योंकि इस ट्रैनिंग में ही सैनिकों को आपस में बहुत कुछ सीखने का मौका मिलता हैं। इसके साथ ही इससे भारत और अमेरिका के बीच सामरिक रिश्ते और मजबूत होंगे। आतंकवाद के खिलाफ एकजुट हुए भारत अमेरिका कई बार सैन्य अभ्यास एक साथ कर चुका है इस दौरान दोनों देशों के सैनिकों के बीच अच्छा तालमेल देखने को मिला है। इसी का नतीजा है कि अमेरिकी अधिकारियों के मुताबिक आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत उसका सबसे अच्छा दोस्त साबित होगा। वहीं ये अभ्यास 'काउंटर इंसर्जेंसी और काउंटर टेरेरिज्म' की दिशा में नई तकनीक विकसित करने का अच्छा माध्यम साबित होगा।


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