image: EARTHQUAKE IN UTTARKASHI AND CHAMOLI

उत्तराखंड में भूकंप के झटके...दहशत में चमोली, उत्तरकाशी और रुद्रप्रयाग के लोग

उत्तराखंड में एक बार फिर से भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं। सवाल ये भी है कि क्या वास्तव में वैज्ञानिकों की बातें सच साबित हो रही हैं?
May 18 2019 9:37AM, Writer:आदिशा

क्या वास्तव में उत्तराखंड पर एक बड़ा खतरा मंडरा रहा है? बार बार वैज्ञानिक इस बात का अंदेशा जता चुके हैं कि उत्तराखंड में कभी भी एक बड़ी तीव्रता वाला भूकंप आ सकता है। इसका संकेत भी इस बात से मिल रहा है कि बीते कुछ वक्त से उत्तराखंड में छोटे छोटे भूकंप आ रहे हैं। एक बार फिर से भूकंप की वजह से उत्तराखंड की धरती हिल गई। चमोली, उत्‍तरकाशी और रुद्रप्रयाग जिलों में धरती एक बार फिर से डोल उठी। शुक्रवार की रात करीब एक बजकर आठ मिनट पर भूकंप के झटके महसूस किए गए। बताया जा रहा है कि भूकंप का केंद्र जमीन से 10 किलोमीटर नीचे था। रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 3.8 मापी गई है। उत्तरकाशी जिले के गंगोत्री हर्षिल क्षेत्र में भूकंप के झटके महसूस किए गए। इसके बाद तो लोग दहशत की वजह से घरों से बाहर निकल आए। भले ही किसी नुकसान की खबर नहीं है लेकिन वैज्ञानिकों ने उत्तराखंड के लिए कुछ बड़ी चेतावनियां दी हैं...आगे पढ़िए

यह भी पढें - देहरादून में सिकुड़ रही है 250 किलोमीटर ज़मीन, 8 रिक्टर स्केल के भूकंप का खतरा!
ये अनदेखी आने वाले समय में बड़े हादसे का सबब बन सकती है। उत्तरकाशी जिला भूकंप के लिहाज से बेहद संवेदनशील जोन 4 और 5 में आता है। भूगर्भीय दृष्टी से ये सीमांत जिला बहुत संवेदनशील है। टैक्टोनिक प्लेट्स जिले के नीचे से होकर गुजर रही है, इनमें सामान्य हलचल होने पर भी भूकंप का खतरा बना रहता है। 20 अक्टूबर 1991 में उत्तरकाशी पहले भी भूकंप की तबाही से जूझ चुका है। उस वक्त यहां पर 6.8 तीव्रता वाला भूंकप आया था, जिसमें भारी तबाही हुई थी। भूकंप के दौरान 6 सौ से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी, जबकि सैकड़ों मकान जमीन में समा गए थे। यूसैक की सेटेलाइट मैपिंग के अनुसार पवित्र कैलाश भूक्षेत्र में आने वाले 36 गांव भूस्खलन से सीधे तौर पर प्रभावित बताए गए हैं। इसके साथ ही 196 गांव भूस्खलन के 200 मीटर के दायरे में और 227 गांव 500 मीटर के दायरे में आ रहे हैं। सेटेलाइट अध्ययन में ये भी पता चला है कि इस इलाके में पिछले 35 साल में 7.5 फीसदी वन क्षेत्र घटा है।

यह भी पढें - उत्तराखंड: जहर खाने से फौजी की पत्नी की मौत ...5 महीने पहले ही हुई थी शादी
देहरादून पर 8 रिक्टर स्केल के भूकंप का खतरा है। ये हम नहीं कह रहे बल्कि देश में भूकंप और धरती में होने वाली हलचलों पर रिसर्च करने वाली सबसे बड़ी संस्था का दावा है। जी हां नेशनल सेंटर फॉर सिस्मोलॉजी की रिसर्च में ये हैरान कर देने वाली बातें सामने आई हैं। इस रिसर्च में एक एक बात आपको भी समझनी चाहिए कि आखिर देहरादून के 250 किलोमीटर क्षेत्रफल में क्या हो रहा है। रिपोर्ट में साफ तौर पर बताया गया है कि देहरादून से टनकपुर के बीच करीब 250 किलोमीटर क्षेत्रफल की जमीन सिकुड़ती जा रही है। हर साल करीब 18 मिलीमीटर की दर से धरती सिकुड़ती जा रही है। सेंटर के निदेशक डॉ.विनीत गहलोत का कहना है कि साल 2013 से 2018 के बीच देहरादून के मोहंड से टनकपुर के बीच करीब 30 जीपीएस यानी ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम लगाए गए थे।जीपीएस के माध्यम से पता चला है कि ये पूरा भूभाग हर साल 18 मिलीमीटर की दर से सिकुड़ता जा रहा है। इस सिकुड़न की वजह से धरती के भीतर ऊर्जा का का जबरदस्त भंडार बन रहा है।


View More Latest Uttarakhand News
View More Trending News
  • More News...

News Home