सफलता के एवरेस्ट पर उत्तराखंड की बेटी...टैक्सी चलाने वाले पिता का सिर गर्व से ऊंचा
पहाड़ की शीतल ने अपने पहाड़ जैसे हौसले से दुनिया की सबसे ऊंची चोटी एवरेस्ट को जीत लिया...इन दिनों उनके घर पर जश्न का माहौल है।
May 18 2019 12:45PM, Writer:कोमल नेगी
हर पर्वतारोही माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने का ख्वाब देखता है, लेकिन वहां पहुंचने के लिए फौलाद जैसे कलेजे की जरूरत पड़ती है... माउंट एवरेस्ट के 8,848 मीटर ऊंचे शिखर तक पहुंचने के लिए पर्वतारोहियों को ऐसे कठिन हालात से गुजरना पड़ता है, जहां उनकी जान हमेशा खतरे में रहती है...लेकिन पहाड़ की बेटी शीतल राज ने अपने पहाड़ जैसे हौसले से हर चुनौती पर जीत हासिल कर ली। एवरेस्ट की चढ़ाई के दौरान अब तक करीब 300 पर्वतारोही मारे जा चुके हैं, इनमें से ज्यादातर की मौत गिरने या फिर बर्फीली दरारों में समाने और हिमस्खलन से हुई...एवरेस्ट अभियान में जोखिम तो है, लेकिन कहते हैं ना कि डर के आगे ही जीत है..सोर घाटी पिथौरागढ़ की रहने वाली शीतल डरी नहीं...आगे बढ़ती रहीं और माउंट एवरेस्ट पर तिरंगा फहरा कर ही दम लिया। पहाड़ के छोटे से गांव से निकल कर एवरेस्ट तक का सफर शीतल के लिए बेहद चुनौतीभरा रहा। शीतल एक सामान्य पहाड़ी परिवार से ताल्लुक रखती हैं, उनके पिता उमाशंकर आज भी टैक्सी चलाकर गुजर-बसर कर रहे हैं। पहले वो दिहाड़ी पर दूसरों की टैक्सी चलाते थे, अब उनके पास खुद की टैक्सी है।
यह भी पढें - देवभूमि की बेटी शीतल ने जीत लिया एवरेस्ट..सोर घाटी में खुशी का माहौल
बेटी की उपलब्धि ने इस परिवार का अचानक से लाइमलाइट में ला दिया है। शीतल के पिता ने हाल ही में पैतृक मकान में एक कमरा बनाया है, जिसमें शीतल के पर्वतारोहण अभियानों की तस्वीरें लगी हैं। शीतल की मां सपना देवी भी बेटी की इस उपलब्धि से बेहद खुश हैं, वो बधाई देने के लिए घर आने वाले लोगों को मिठाई खिलाकर उनका स्वागत कर रही हैं। आपको बता दें कि शीतल 5 मई को एवरेस्ट के बेस कैंप के लिए रवाना हुईं थीं। 15 मई तक शीतल ने बेस कैंप में क्लाइंबिंग का अभ्यास किया। 13 मई को शीतल 6300 मीटर की ऊंचाई में स्थित कैंप-2, 14 मई को 7400 मीटर की ऊंचाई में स्थित कैंप-3 और 15 मई को 8000 मीटर की ऊंचाई में स्थित कैंप-4 पहुंचीं। इसी दिन वो रात 9 बजे एवरेस्ट फतह के लिए निकल गईं थी। शीतल ने नेपाल के दक्षिणी छोर से चढ़ाई कर बृहस्पतिवार सुबह 6 बजे माउंट एवरेस्ट में भारतीय ध्वज फहराया। आपको बता दें कि सोर घाटी के लोगों ने पर्वातारोहण के क्षेत्र में विशेष उपलब्धियां हासिल की हैं। शीतल से पहले पिथौरागढ़ जिले के लवराज धर्मशक्तू सात बार माउंट एवरेस्ट फतह कर चुके हैं। इस जिले के मोहन सिंह गुंज्याल, योगेश गर्ब्याल, सुमन कुटियाल दताल, रतन सिंह सोनाल, कविता बुढ़ाथोकी भी एवरेस्ट पर तिरंगा फहरा चुकी हैं। एवरेस्ट विजेताओं की इस फेहरिस्त में अब शीतल राज का नाम भी शामिल हो गया है....एवरेस्ट फतह कर प्रदेश का नाम रोशन करने वाली पहाड़ की इस बेटी को राज्य समीक्षा की तरफ से ढेरों बधाई।