image: statue of narasimha found in construction of dharamsala pithoragarh

उत्तराखंड: गांव में देवी मंदिर के पास चल रही थी खुदाई..निकली प्राचीन नृसिंग प्रतिमा

देवी मंदिर की धर्मशाला के लिए खुदाई चल रही थी, कि तभी खुदाई में सैकड़ों साल पुरानी ऐसी चीजें निकल आईं, जिन्होंने गांववालों को हैरान कर दिया...देखिए तस्वीरें
Jun 16 2019 5:51PM, Writer:कोमल नेगी

देवभूमि उत्तराखंड प्राग्रैतिहासिक मानवों की पनाहगाह रहा तो वहीं चक्रवर्ती सम्राटों की साधनास्थली भी...यहां आज भी अश्वमेघ यज्ञ के सबूत बिखरे पड़े मिलते हैं, पर अफसोस कि अब भी उत्तराखंड के इतिहास को लेकर उतनी गंभीरता से काम नहीं हुआ, जितना होना चाहिए था। हाल ही में पिथौरागढ़ में एक धर्मशाला खुदाई के दौरान सैकड़ों साल पुरानी नृसिंह की प्रतिमा मिली है। ऐतिहासिक दृष्टि से देखें तो ये खुद में एक महत्वपूर्ण खोज है, जो कि अनायास ही हो गई। दरअसल ऊपरी रामगंगा घाटी में मुवानी के मायल गांव में देवी मंदिर की धर्मशाला बनाने के लिए खुदाई हो रही थी। इसी खुदाई में भगवान नृसिंह की मूर्ति निकल आई, जिसे देख ग्रामीण हैरान रह गए। मूर्ति काफी प्राचीन है, ये मूर्ति नौवीं शताब्दी की बताई जा रही है। प्रतिमा ग्रेनाइट पत्थर से बनी है। खुदाई में एक और मूर्ति भी मिली है। खुदाई में प्रतिमा मिलने को गांव वाले ईश्वर का संकेत मान रहे हैं, प्रतिमा के दर्शन करने के लिए लोग दूर-दूर से मायल गांव पहुंच रहे हैं। आगे देखिए तस्वीरें

मायल गांव में है मायल देवी का मंदिर

statue of narasimha found in construction of dharamsala pithoragarh
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पूरा मामला क्या है चलिए ये भी आपको बता देते हैं। दरअसल मायल गांव में मायल देवी का मंदिर है। यहीं पर ग्रामीण एक धर्मशाला बनवा रहे हैं। ग्रामीणों ने बताया कि जब वो धर्मशाला निर्माण के लिए खुदाई कर रहे थे तो उन्हें जमीन से एक प्राचीन मूर्ति मिली। नृसिंह की ये प्रतिमा एक फीट से लंबी है। जैसे ही ये बात गांव में फैली लोग प्रतिमा के दर्शन करने के लिए मौके पर पहुंचने लगे।

पुरातत्व विभाग को दी सूचना

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ग्रामीणों ने समझदारी दिखाते हुए प्रतिमाओं को सुरक्षित स्थान पर रख दिया है। पुरातत्व विभाग अल्मोड़ा को भी सूचना दे दी गई है। मूर्तियों के जो चित्र पुरातत्व विभाग अल्मोड़ा को भेजे गए हैं, उन्हें देखकर पुरातत्ववेत्ताओं ने कहा है कि ये प्रतिमाएं नौंवी शताब्दी की हैं। जल्द ही विभाग की एक टीम गांव में जाकर उस जगह का निरीक्षण करेगी, जहां ये मूर्तियां मिली हैं। प्रतिमाओं को पिथौरागढ़ के म्यूजियम में रखा जाएगा।


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