शाबाश भुला..रुद्रप्रयाग के नितिन ने बनाई कोरोना टेस्टिंग किट..ICMR ने लगाई मुहर
अच्छी बात ये है कि इसे भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसन्धान परिषद् की ICMR लैब ने 100 एक्युरेसी के साथ 8 मई और 9 मई को अप्रूव किया है।
May 20 2020 10:28AM, Writer:राज्य समीक्षा डेस्क
कहते हैं कि हुनर कभी भी पहचान का मोहताज नहीं होता। राज्य समीक्षा की कोशिश रहती है कि कुछ ऐसे हुनरमंदों की कहानियों को आपके बीच लेकर आएं। तो लीजिए ये कहानी है पहाड़ के उस गांव के लड़के की, जिस गांव के लोग आज अपने बेटे की सफलता से गौरवान्वित हैं। उत्तराखंड ही नहीं बल्कि पूरे देश के लिए ये गर्व की बात की है। कोरोना जैसी महामारी की जांच के लिए उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले के गांव पसालत, लमगौण्डी, गुप्तका़शी के नितिन सेमवाल ने इस बीमारी की जाँच के लिए दो किट बनाई हैं। अच्छी बात ये है कि इसे भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसन्धान परिषद् की ICMR लैब ने 100 एक्युरेसी के साथ 8 मई और 9 मई को अप्रूव किया है। इस किट को कोरोनावायरस की जांच के लिए बिलकुल उपयुक्त पाया हैं। नितिन दिल्ली की जनकपुरी -तिलकनगर स्थित प्रोफेशनल बायोटेक कंपनी (जिनोम) में टीम को लीड कर रहे हैं और उनके साथ उनकी टीम की ये एक बड़ी उपलब्धि हैं। इससे पहले भी कंपनी ने सार्स, प्लेग और एचआईवी जैसी बिमारियों के लिए किट बनाई है। राज्य समीक्षा से खास बातचीत में नितिन कहते हैं कि उन्होंने अपनी टीम के साथ मिलकर इस किट की डिजायिंग से लेकर ड्राफ्ट सब कुछ तैयार किया। नितिन ने राजकीय इंटर कॉलेज लमगौन्डी से शुरुआती शिक्षा हासिल की और इसके बाद वो बायोटेक की पढ़ाई करने के लिए आगरा चले आए थे। दिल्ली आने के बाद उन्होंने कड़ी मेहनत करना शुरू किया और आज वो एक बेहतर मुकाम पर हैं। आज नितिन अपनी पत्नी और बेटे के साथ दिल्ली के द्वारका में रह रहे हैं। आगे भी पढ़िए
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नितिन बताते हैं कि बायोटेक क्षेत्र में बरसो से काम कर रही इस छोटी कंपनी का अपने अनुसन्धान के लिए बहुत नाम रहा है। किट तैयार होने पर नितिन कहते हैं कि "ये एक सपने के सच होने जैसा है। जब स्व. प्रदीप सिंघल ने जिनोम कंपनी बनायीं थी तो उनका उद्देश्य ही भारत में रहकर बीमारियों पर उच्च कोटि के अनुसंधान करने की थी। उनके जल्दी चले जाने के बाद कंपनी का काफी जिम्मा नितिन सेमवाल के कंधों पर आ गया था। कोविड-19 पर पहले दिन से किट बनाने की कोशिश कर रहे नितिन बताते है कि वैसे तो किट का प्रारूप बहुत पहले तैयार कर लिया था लेकिन समय पर प्रोब न मिलने के कारण COVID सैम्पल की जांच करना कठिन था। फिर थोड़ा समय भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसन्धान परिषद् से किट की सत्यता परीक्षा में लगता ही है। नितिन बताते हैं कि महीने भर के कोशिश के बाद ये दिन देखने को मिला जिसका श्रेय कंपनी के सब लोगों का जाता है। नितिन बताते हैं कि कंपनी के किट निर्माण केंद्र पर किट बनाने कि सारी तैयारियां हैं। जब से भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसन्धान परिषद् ने किट को मान्यता दी है कंपनी के लोगो में एक नया संचार हुआ है। उत्तराखंड के नितिन सेमवाल की इस सफल कोशिश के बाद भारत कोरोना की लड़ाई को और दृण्डता से लड़ने में सक्षम हुआ है।