उत्तराखंड का ये कैसा दुर्भाग्य है? पहाड़ की ये कैसी मजबूरी है?
यह उत्तराखंड का दुर्भाग्य है कि गांव में रह रहे हमारे भाइयों और बहनों को किन हालातों का सामना करना पड़ रहा है। पिथौरागढ़ के बनेला ग्रामसभा ( चमलेख ) में हालात बद से बदतर हैं।
Jun 19 2020 6:43PM, Writer:अनुष्का ढौंडियाल
हम लोग यह दावा तो करते हैं कि हम विकास के पथ पर आगे बढ़ रहे हैं। उत्तराखंड में Yr बड़ी-बड़ी बातें की जाती हैं मगर वो महज खोखली हैं। उत्तराखंड में कई सरकारें आईं और बड़े-बड़े वादे करके गईं। मगर इन वादों के पीछे का सच क्या है, यह हम सब जानते हैं। उत्तराखंड के ग्रामीण क्षेत्रों की हालत क्या है, यह भी हम सबको पता है। जीवन व्यापन करने के लिए कुछ मूलभूत जरूरत हैं जिनके ऊपर सबका सामान्य अधिकार है। मगर आजादी के 70 साल के बाद भी उत्तराखंड के कई गांव ऐसे हैं जहां ग्रामीण आज भी मूलभूत जरूरतों के बिना पुराने ढर्रे में जीवन व्यापन करने को मजबूर हैं। आज हम आपको ऐसे ही गांव के बारे में बताने जा रहे हैं जहां अबतक सड़क नहीं बन पाई है। कोई बीमार होता है, कोई महिला प्रसव में होती है तो डोली में बैठा कर 4 किलोमीटर की खड़ी चढ़ाई करनी पड़ती है। आगे पढ़िए
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ये सरकार और सिस्टम की विफलता है। यह विफलता है उन तमाम लोगों की जिन्होंने चुनाव के समय तो वादे किए मगर उसके बाद मुंह फेर लिया। हम बात कर रहे हैं पिथौरागढ़ के गंगोलीहाट विकासखंड के ग्रामसभा बनेला की। बनेला में हालात बद से बदतर हैं। यहां तक कि गांव के बीमार और गर्भवती महिलाओं इमरजेंसी में गांव के निवासियों द्वारा 4 किलोमीटर की खड़ी चढ़ाई पार करके डोली के सहारे सड़क तक पहुंचाया जाता है। ऐसे में ग्रामसभा बनेलागांव के ग्रामीण काफी लंबे समय से मणकनाली से सुरखाल तक सड़क का निर्माण करने की मांग कर रहे हैं। मगर उनकी इस बात की और कहीं ध्यान नहीं दिया जा रहा है। ग्रामीणों को 4 किलोमीटर की खड़ी चढ़ाई कर कर मणकनाली आना पड़ता है। आगे पढ़िए
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सबसे ज्यादा तकलीफ तो तब होती है जब गांव की कोई महिला या कोई बीमार को अस्पताल ले जाना पड़ता है। उस समय उनको डोली के अंदर बैठा के लोग 4 किलोमीटर की लंबी चढ़ाई करते हैं। इस दृश्य की कल्पना करना भी हमारे लिए असंभव है मगर ऐसा सच में हो रहा है। जिला पंचायत सदस्य कल्याण राम ने कहा कि बीते रोज भी गांव के एक बुजुर्ग राम सिंह बिष्ट की तबीयत हद से ज्यादा खराब हो गई। उनको अस्पताल पहुंचाने के लिए गांव के 24 युवाओं को आना पड़ा। उन्होंने बताया इस दुर्गम मार्ग से घूणा, बेटगाड़ा, कोलिया, गंतोला, के ग्रामीणों को भी तहसील मुख्यालय आने में काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। ग्रामीणों ने कहा कि अगर सड़क का निर्माण कार्य शुरू नहीं हुआ तो क्षेत्र की जनता धरना प्रदर्शन करने के लिए बाध्य होंगी।