उत्तराखंड के लिए गर्व का पल..देहरादून की इस खूबसूरत लोकेशन को मिला अंतर्राष्ट्रीय दर्जा
रामसर कन्वेंशन ने देहरादून जिले के विकास नगर में स्थित आसन कंजर्वेशन रिजर्व को अंतर्राष्ट्रीय महत्व की साइट घोषित कर दिया है।
Oct 16 2020 3:12PM, Writer:Komal Negi
उत्तराखंड से बड़ी खबर सामने आ रही है। रामसर कन्वेंशन ने देहरादून जिले के विकास नगर में स्थित आसन कंजर्वेशन रिजर्व को अंतर्राष्ट्रीय महत्व की साइट घोषित कर दिया है। यह उत्तराखंड के लिए गर्व की बात है। इससे पहले प्रदेश के किसी भी रिजर्व को यह उपलब्धि नहीं प्राप्त हुई है। देहरादून जिले के आसन कंजर्वेशन रिजर्व को अंतरराष्ट्रीय महत्व के साइट घोषित करने के बाद रामसर साइट की संख्या 38 पहुंच गई है। यह पूरे साउथ एशिया में सबसे अधिक संख्या है। बता दें कि प्रदेश में इससे पहले कोई भी रिजर्व रामसर साइट नहीं बना है। इस बात की सूचना स्वयं मिनिस्ट्री ऑफ एनवायरनमेंट एंड फॉरेस्ट ने ट्वीट करके साझा की। वहीं वन विभाग के अधिकारियों के बीच खुशी की लहर दौड़ पड़ी है। बता दें कि वन विभाग के अधिकारी काफी लंबे समय से आसन कंजर्वेशन रिजर्व को रामसर साइट में शामिल करने का प्रयास कर रहे थे। आखिरकार उनका प्रयास सफल हुआ और विकास नगर के आसन कंजर्वेशन रिजर्व को रामसर साइट में स्थान मिल चुका है
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चलिए आपको रामसर साइट के बारे में बताते हैं। रामसर कन्वेंशन नम भूमि एवं पर्यावरण के संरक्षण के लिए एक विश्वस्तरीय प्रयास है जिसमें कई देशों की भागीदारी है। जैसा कि हम सब जानते ही हैं कि कैसे मनुष्यों ने प्रकृति को अपने अधीन कर रखा है। शहरीकरण लगातार बढ़ रहा है और औद्योगिकरण के कारण विश्व भर में तमाम झीलों एवं नदियों को कई प्रकार की हानि पहुंच रही है। इसी बात को मध्यनजर रखते हुए वर्ष 1971 में संयुक्त राष्ट्र ने ईरान के रामसर नामक एक स्थान पर अंतरराष्ट्रीय कन्वेंशन बुलाई थी, जिसमें विश्व के तमाम राष्ट्रों द्वारा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उनके राष्ट्रों के अंदर ऐसे क्षेत्रों को संरक्षित करने का एक संकल्प लिया गया था। भारत में कुल रामसर साइट की संख्या 38 है जिनमें से एक अब देहरादून जिले के अंदर भी मौजूद है।
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वर्ष 2015 में विकासनगर तहसील मुख्यालय से करीबन 15 किलोमीटर दूर आसन झील और उसके आसपास के इलाके को आसन कंजर्वेशन रिजर्व घोषित कर दिया गया था। यह देश का पहला कंजर्वेशन रिजर्व है। 444.40 हेक्टेयर के भू-भाग में फैले इस रिजर्व में तकरीबन हर साल 54 से अधिक विदेशी प्रजातियों के पक्षी का आवाज पर पहुंचते हैं। मध्य एशिया समेत चीन, रूस इत्यादि इलाकों से पक्षी यहां प्रवास करते हैं। यही वो महीना है जब पक्षियों के आने का सिलसिला शुरू हो जाता है। जी हां, अक्टूबर माह में पक्षी आते हैं और दिसंबर मध्य तक इनकी संख्या सबसे अधिक हो जाती है। मार्च तक वे झील के आसपास ही रहते हैं। चकराता वन प्रभाग के प्रभागीय अधिकारी दीपचंद आर्य ने अपनी खुशी व्यक्त करते हुए कहा यह उपलब्धि विभागीय अधिकारियों एवं कर्मचारियों समेत स्थानीय लोगों के कारण प्राप्त हुई है। कर्मचारियों एवं अधिकारियों की मेहनत के बिना यह बिल्कुल भी मुमकिन नहीं हो पाता।