उत्तराखंड में भारत-चीन सीमा पर आखिरी डाकघर, जहां सुपरहिट बॉलीवुड फिल्म की शूटिंग हुई थी
उत्तरकाशी जिले से राजीव कपूर का खास रिश्ता था। क्योंकि उनको एक कलाकार के तौर पर स्थापित करने वाली फिल्म ‘राम तेरी, गंगा मैली’ की शूटिंग उत्तरकाशी की हर्षिल घाटी में ही हुई थी।
Feb 15 2021 8:17PM, Writer:Komal Negi
क्या आप जानते हैं कि भारत-चीन सीमा पर बना आखिरी डाकघर कहां है ? इस बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं। खास बात ये है कि भारत की आखिरी चाय की दुकान की तरह ये भी भारत-चीन सीमा पर मौजूद है। यहां बॉलीवुड की सुपरहिट फिल्म राम तेरी गंगा मैली की शूटिंग भी हुई थी। इस डाक घर के इर्दगिर्द इस फिल्म के कई सीन फिल्माये गए थे। भारत और चीन की सीमा पर बना ये डाक घर आज भी सैलानियों के लिए आकर्षण का केंद्र है। ये अंतिम डाक घर हर्षिल के खूबसूरत नजारों, बर्फीले पहाड़ों और झरनों की वजह से रातों रात सुर्खियों में आया था। इस फिल्म के साथ ही हमेशा के लिए हर्षिल का ये ऐतिहासिक डाक घर इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गया था। उस वक्त से लेकर आज तक यहां जो भी सैलानी आते हैं, इस डाक घर के सामने फोटो खिंचवाना नहीं भूलते। चीन की सीमा से लगे हर्षिल में आज भी बुनियादी सुविधाओं की जरूरत है। हर्षिल के इस इकलौते पोस्ट ऑफिस में आज भी ऑफ लाइन तरीकों से काम होता है। करीब 1960 के दशक में इस डाक घर को खोला गया था। ये कार्यालय सेना और दूरदराज के गांवों के लिए डाक सेवाओं का एकमात्र साधन रहा है। हर्षिल के डाक घर की गाड़ी कभी भटवाड़ी से आगे नहीं जाती।राजीव कपूर को साल 1985 में आई फिल्म ‘राम तेरी, गंगा मैली’ के लिए जाना जाता है। यही वो फिल्म थी जिसने राजीव को रातोंरात स्टार बना दिया था, हालांकि उनका बॉलीवुड करियर रफ्तार नहीं पकड़ पाया। उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले से राजीव कपूर का खास रिश्ता था। क्योंकि उनको एक कलाकार के तौर पर स्थापित करने वाली फिल्म ‘राम तेरी, गंगा मैली’ की शूटिंग उत्तरकाशी की हर्षिल घाटी में हुई थी। उस दौर में फिल्म का गीत ‘हुस्न पहाड़ों का’ हर जुबान पर चढ़ गया था। आज भी इस गीत को खूब गुनगुनाया जाता है। हर्षिल घाटी के स्थानीय निवासियों के जहन में आज भी शूटिंग से जुड़े लम्हों की याद ताजा है। हर्षिल की पूर्व प्रधान बसंती नेगी बताती हैं कि ‘राम तेरी, गंगा मैली’ ऐसी पहली फिल्म थी, जिसकी शूटिंग हर्षिल में हुई।
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यहां शांत वेग से बहती भागीरथी और देवदार के जंगलों की खूबसूरती देखते ही बनती थी। 80 के दशक में राज कपूर अपने बेटे राजीव कपूर और फिल्म यूनिट के साथ यहां शूटिंग करने आए थे। उस वक्त गांव के लोग सुबह सारे काम निपटाकर शूटिंग देखने पहुंच जाते थे। फिल्म की 50 फीसदी शूटिंग हर्षिल में हुई। ‘हुस्न पहाड़ों का’ गीत आने के बाद हर्षिल घाटी देश-दुनिया में मशहूर हो गई। हर्षिल और बगोरी गांव के लोगों को आज भी शूटिंग के किस्से याद हैं। हालांकि बाद में फिल्म के कुछ दृश्यों को लेकर विरोध भी हुआ था। मंदाकिनी के झरने में नहाने वाले सीन को लेकर उस वक्त खूब बवाल हुआ। जिसके चलते फिल्म का प्रदर्शन भी रुक गया था। उस समय छात्रों के विरोध-प्रदर्शन के चलते उत्तरकाशी में फिल्म दो दिन तक नहीं दिखाई गई थी। फिल्म में गंगा का किरदार निभा रही मंदाकिनी पर हर्षिल डाकघर में चिट्ठी डालने का एक सीन फिल्माया गया था। इस सीन के बाद हर्षिल का डाकघर मशहूर हो गया। उस वक्त हर्षिल घाटी घूमने आने वाले लोग डाकघर जाकर तस्वीरें खिंचवाना नहीं भूलते थे।