देहरादून-दिल्ली हाईवे के लिए बलि चढ़ेंगे 11,000 पेड़, चिपको आंदोलन को तैयार लोग
देहरादून-दिल्ली एलिवेटेड हाईवे के लिए राजाजी टाइगर रिजर्व के हजारों पेड़ों को काटकर वन्यजीवों का आशियाना उजाड़ना चाह रही सरकार
Oct 2 2021 7:52PM, Writer:साक्षी बड़थ्वाल
खबर वास्तव में चिंताजनक है । एक न्यूज़ रिपोर्ट के मुताबिक देहरादून-दिल्ली एलिवेटेड हाईवे के लिए मोहंड से आशारोड़ी तक 11 हजार से अधिक पेड़ काटे जाएंगे. सोचने वाली बात है एक तरफ तो सरकार वन्यजीवों के संरक्षण पर जोर दे रही है और दूसरी तरफ राजाजी टाइगर रिजर्व के हजारों पेड़ों को काटकर वन्यजीवों का आशियाना उजाड़ना चाह रही है. बता दें की परियोजना के पूरा होने पर सिर्फ 11 मिनट के समय की ही बचत होगी. लेकिन हजारों पेड़ों के कटने से वन्यजीवों की सुरक्षा खतरे में पड़ जाएगी। जिस वजह से इसके विरोध में शनिवार को देहरादून में पर्यावरणप्रेमी उतर आए और मोहंड से आशारोड़ी के बीच 11 हजार पेड़ काटने का विरोध किया। विरोध कर रहे संगठनों का कहना है कि, सरकार मोहंड से आशारोड़ी तक करोड़ों रुपये खर्च कर एलीवेटेड रोड बनाना चाह रही है, जिसका काम भी शुरू कर दिया गया है, लेकिन परियोजना में राजाजी टाइगर रिजर्व के 11 हजार पेड़ों का कटान होगा। लोगों का कहना है कि सरकार राजाजी टाइगर रिजर्व के हजारों पेड़ों को काटकर वन्यजीवों का आशियाना उजाड़ना चाह रही है। उधर सरकार कह रही है कि जितने पेड़ कटेंगे उससे दोगुने पेड़ लगाए जाएंगे। फिलहाल लोगों में 11000 पेड़ों के कटने को लेकर गुस्सा है, जिसको लेकर सभी संगठन एकजुट होकर विरोध कर रहे हैं.
यह भी पढ़ें - उत्तराखंड में अभी राहत नहीं देगा मौसम, 6 जिलों में मूसलाधार बारिश का अलर्ट
बता दें की इससे पूर्व 26 सितंबर को सहस्त्रधारा रोड पर भी चिपको मूवमेंट किया गया। इसमें सभी लोगों का भारी समर्थन मिला. यहां पर मसूरी जाने के लिए हाइर्व का विस्तारीणकरण किया जा रहा है. जिसके लिए करीब 2100 पेड़ काटने का विरोध किया जा रहा है. इस विरोध प्रदर्शन में भी 18 सामाजिक संगठनों ने विरोध प्रदर्शन किया था. सिटीजन्स फॉर ग्रीन दून के हिमांशु अरोड़ा ने बताया कि उन्हें यह जानकारी मिली कि मोहंड के पास 11 मिनट के रास्ते को कम करने के लिए सरकार 11 हजार पेड़ों को कटवाने जा रही है. जिसका विरोध किया जाएगा. उन्होंने कहा कि पहाड़ों में जिस तरह से आए दिन लेंड स्लाइड हो रहे हैं, वैसे ही अब शहरों में भी हाल नजर आएगा. पेड़ों को हरा-भरा रखने के लिए सरकार को पहल करनी चाहिए. न कि अपनी सुविधा के लिए पेड़ों का कटान चाहिए बता दें की इस अभियान को नो ग्रीनरी, नो वोट का नाम दिया गया है. जिससे जनप्रतिनिधियों को भी अवेयर किया जा सके.