image: Bakhtawar Singh Bisht of Chamoli district

गढ़वाल के बख्तावर सिंह बिष्ट..आजाद हिंद फौज के जांबाज, 103 साल की उम्र में भी बुलंद हौसला

शरीर भले ही आज उनका बूढ़ा जरूर हुआ है लेकिन आज भी उनके मन मे देश के प्रति जोश और जज्बा कम नही हुआ है ।
Aug 15 2020 6:14PM, Writer:जितेन्द्र पंवार

देश की आजादी के लिए अंग्रेजी हुकूमत से बगावत कर नेता सुभाष चन्द्र बोस की सेना में शामिल होकर अंग्रेजों के खिलाफ जंग लड़ने वाले 103 वर्षीय स्वतंत्रता संग्राम सेनानी बख्तावर सिंह बिष्ट आज भी जिंदा है। शरीर भले ही आज उनका बूढ़ा जरूर हुआ है लेकिन आज भी उनके मन मे देश के प्रति जोश और जज्बा कम नही हुआ है। स्वतंत्रता दिवस के मौके पर देश के युवाओं को संदेश देते हुए उन्होंने कहा कि अधिक से अधिक युवा सेना का हिस्सा बने और देश की सेवा करे।103 वर्षीय स्वतंत्रता संग्राम सेनानी बख्तावर सिंह बिष्ट का जन्म 18 जनवरी 1918 को चमोली जिले के श्रीकोट गांव में एक किसान के घर में हुआ था। बचपन से ही मन में देश की आजादी का सपना पाले बख्तावर सिंह बिष्ट सन 1940 में गढ़वाल राइफल में भर्ती होकर सेना का हिस्सा बने, आजादी से पूर्व सेना में भर्ती होने के 5 साल बाद उन्होंने 1945 में ब्रिटिश सेना से बगावत कर नेता सुभाष चन्द्र बोस की सेना INA में शामिल हो गए। आगे पढ़िए

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103 वर्षीय बख्तावर सिंह बिष्ट ने मीडिया से बातचीत में हमे बताया कि अंग्रेजी सरकार के खिलाफ हमने उस समय लड़ाई लड़ी थी जब हमारे पास हथियार भी ना के बराबर हुआ करते थे। एक तरफ अंग्रेजी सरकार थी और दूसरी ओर हम.. अब आप अंदाजा लगा सकते है कि हमने किन परिस्थितियों में अंग्रेजो से लड़ाई लड़ी होगी। वो आगे कहते हैं कि- ब्रिटिश सरकार से लड़ाई लड़ते हुए मुझे एक साल तक ब्रिटिश हुकूमत द्वारा कलकत्ता जेल में कैद किया गया, देश की आजादी के लिए ब्रिटिश सरकार से बगावत करने के आरोप में 1946 में मुझे फ़ौज से हटा कर घर भेज दिया। धीरे धीरे देश की आजादी के लिए आवाज बुलंद होती गयी नतीजन ब्रिटिश सरकार ने सुभाष चन्द्र बोस की सेना के आगे घुटने टेक दिए जिसके बाद सन 1947 में देश अंग्रेजो की गुलामी से आजाद हो गया, देश की आजादी के बाद 1948 में बख्तावर सिंह पीएससी में भर्ती हुए और 27 साल पीएसी की सेवा करने के बाद स्वतंत्रता संग्राम सेनानी बख्तावर सिंह बिष्ट पीएससी से सेवा निवृत हुए। स्वतंत्रता संग्राम सेनानी बख्तावर सिंह आज 103 वर्ष के हो चुके है । लेकिन देश के प्रति जोश, और जज्बा आज भी उनके मन मे कम नही हुआ है

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वर्तमान समय मे बख्तावर सिंह बिष्ट चमोली जिले में इकलौते स्वतंत्रता संग्राम सेनानी है।वो आज भी सेना के जवानों की तरह सुबह 4 बजे उठ कर घर के सदस्यों को जगाते है। घर के आसपास घूमना व समाजिक जीवन मे होने वाली गतिविधियों की जानकारी रखने के लिए वे आज भी टीवी में समाचार सुनते और बिना ही चश्मे के अखबार पढ़ते है। सुबह का नास्ता करने के बाद वे नाती पोतों की देखरख कर उन्हें देश प्रेम की बाते भी सिखाते हैं। सीमा पर बढ़ते तनाव की बाते सुनकर आज भी उनका खून खोंलने लगता है, वे कहते है कि भले ही आज मेरा शरीर बूढ़ा जरूर हो गया है, मगर आज भी अगर देश की रक्षा के लिए बन्दूक उठाने की नोबत आ जाय तो मैं आज भी पीछे नही हटूंगा। स्वतंत्रता दिवस के मौके पर देश के युवाओं को संदेश देते हुए उन्होंने कहा कि नशे से दूर रहकर अधिक से अधिक युवा सेना का हिस्सा बने। स्वतंत्रता संग्राम सेनानी 103 वर्षीय बख्तावर सिंह बिष्ट की तीन बेटियां है । उनकी बीच वाली बेटी ही उनका लालन पालन करती है । बेटा न होने का उन्हें कोई गम न हो इसलिए उनकी बेटी और दामाद उन्हें कोई कमी नही होने देते। देश के प्रति अपने जान की परवाह न करने वाले ऐसे जांबाज को हम दिल से सलाम करते है।


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